Saturday, September 21, 2024
HomePakurसिद्धो-कान्हू: अंग्रेजों के खून से शौर्य-गाथा लिखने वाले ‘नायक’ थे: आजसू जिला...

सिद्धो-कान्हू: अंग्रेजों के खून से शौर्य-गाथा लिखने वाले ‘नायक’ थे: आजसू जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें
bachchan5
  • संथाल विद्रोह का नारा था करो या मरो अंग्रेजो हमारी माटी छोड़ो:आलमगीर आलम

पाकुड़। शहर में सिद्धो-कान्हू मुर्मू पार्क में जाकर आजसू कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि दी। आजसू जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम के नेतृत्व में उनके प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देते हुए नमन किया।

जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम ने कहा कि पाकुड़ धनुषपूजा में सिद्धो-कान्हू ने पहला पूजा अर्चना कर अंग्रेजो से लोहा लिया। सिद्धो-कान्हू ने 1855-56 मे ब्रिटिश सत्ता, साहुकारो, व्यपारियों व जमींदारो के खिलाफ एक विद्रोह कि शुरूवात कि जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। संथाल विद्रोह का नारा था करो या मरो अंग्रेजो हमारी माटी छोड़ो। सिद्धो मुर्मू ने अपनी दैवीय शक्ति का हवाला देते हुए सभी मांझीयों को साल की टहनी भेजकर संथाल हुल में शामिल होने के लिए आमंत्रन भेजा। 30 जून 1855 को भोगनाडीह में संथालो आदिवासी की एक सभा हुई जिसमें 30,000 संथाल एकत्र हुए जिसमें सिदो को राजा, कान्हू को मंत्री, चाँद को मंत्री एवं भैरव को सेनापति चुना गया। संथाल विद्रोह भोगनाडीह से शुरू हुआ था। संथालो के भय से अंग्रेजो ने बचने के लिए पाकुड़ में मार्टिलो टावर का निर्माण कराया गया था जो आज भी झारखण्ड के पाकुड़ जिले में स्थित है।

श्रद्धांजलि देने वाले में जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम, जिला प्रवक्ता शेकसादी रहमतुल्ला, जिला मीडिया प्रभारी आहमदुल्ला, पंचायत अध्यक्ष रिजाउल करीम, सोफीकूल शेख, बारीउल शेख, समसुद्दीन शेख, अब्दुल्ला, मोताहार, बोसीर, माइमूर, मोईदूर सहित दर्जनों आजसू कार्यकर्ता मौजूद थे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments