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कुंदन कुमार/गया. मुर्गी पालन से युवाओं की आमदनी बढ़ सकती है. यह लोगों के रोजगार का एक बेहतर जरिया साबित हो रहा है. बिहार के गया जिले में एक ऐसा ही मुर्गी पालक है, जिसकी किस्मत आज चमक चुकी है. 50 मुर्गे से शुरुआत करने वाले गया के परैया प्रखंड के उत्तरी बाजार परैया के रहने वाले कुमार गौतम आज लाखों में कमा रहें हैं. आज इनके पास 2 हजार से अधिक सोनाली प्रजाति के मुर्गे और एक हज़ार से अधिक कड़कनाथ मुर्गे उपलब्ध हैं.
कुमार गौतम ने मुर्गी पालन की शुरुआत 3 साल पहले की. जब ये मार्केट में देसी अंडा खरीदने गए तो पूरे बाजार में इन्हें देसी अंडा नहीं मिला. एक जगह पर मिला भी तो उसकी कीमत बहुत ज्यादा थी. तब इन्होंने मुर्गी पालन की सोची और गया के पंचानपुर से सोनाली प्रजाति के 50 मुर्गे मंगवाए. इसका पालन शुरू किया. धीरे-धीरे इसमें आमदनी होती गई और गौतम अपने व्यवसाय को बढ़ाते गए. आज उनके पास कई प्रजाति के मुर्गे उपलब्ध हैं और उन्होंने एक देसी पोल्ट्री फॉर्म भी खोल रखा है.
अंडा और चुजों की करते हैं फॉर्मिंग
गौरतलब है कि कुमार गौतम कि शुरुआती पढ़ाई गया के जवाहर नवोदय विद्यालय से हुई. उसके बाद इन्होंने बीएचयू से मैनेजमेंट किया. कुछ साल तक प्राइवेट कंपनी में काम करने के बाद कोरोना काल के दौरान वापस यह अपने घर लौट गए. 2020 से मुर्गी पालन के व्यवसाय से जुड़ गए. आज इनकी आमदनी 30-40 हजार रुपए प्रति महीने हो रही है. कुमार गौतम मुर्गी पालन के साथ लेयर फार्मिंग भी करते हैं और यहां पर अंडे से चुजा तैयार कर मार्केट में चुजों की बिक्री करते हैं.
50 सोनाली मुर्गे से शुरूआत, आज 2 हजार से ज्यादा
लोकल 18 से बात करते हुए कुमार गौतम बताते हैं कि 50 सोनाली प्रजाति के मुर्गे से शुरुआत की थी.आज 2 हजार से अधिक सोनाली प्रजाति के मुर्गे उपलब्ध हैं. गया और आसपास के बाजारों में सोनाली प्रजाति के देसी मुर्गे की डिमांड अधिक है. ये मार्केट में 350 रुपए प्रति किलो आसानी से बिक जाते हैं. सोनाली मुर्गी का अंडा 10 रुपए का बिकता है. उन्होंने बताया कि इनके पोल्ट्री फॉर्म में 20 से 25 रुपए सोनाली प्रजाति के एक चूजा की बिक्री होती है. इनके फॉर्म से कई किसान मुर्गी पालन के लिए चूजे खरीद कर ले जाते हैं और ये उन किसानों को मुर्गी पालन के गुर भी बताते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 18, 2023, 13:12 IST
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