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पटना. आज की इस भागदौड़ वाली जिंदगी में आप कई बार जब सड़कों से गुजरते होंगे तो बीमार, लाचार अपाहिज पशुओं पर आपकी नजर पड़ती होगी. आंखों से एक बार देखने के बाद आप अपनी व्यस्तता, जिम्मेवारी या फिर दूसरे कारणों से इस पर ध्यान नहीं दे पाते होंगे. लेकिन, पटना के एक बुजुर्ग पिछले 4 दशकों से इन लावारिस पशुओं के लिए कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिसके बारे में सोचना तक आसान नहीं है. दरअसल शिवनाथ भारती ने अपनी मेहनत से पशुओं के लिए तबेला बनाया है. देखने में यह आम तबेले जैसी लगता है, लेकिन इस तस्वीर के पीछे है त्याग, सेवा भावना और समर्पण.
कल तक सड़कों पर दर-दर की ठोकर खा रहे इन आवारा पशुओं को देखने वाला कोई नहीं था. लेकिन आखिरकार 83 साल के शिवनाथ भारती इनके लिए मसीहा बने हुए है. लावारिस, बीमार और बूढ़ी गाय बैल और बछड़ो के लिए शिवनाथ भारती सब कुछ है. पिछले 4 दशकों से शिवनाथ भारती सैकड़ों लावारिस पशुओं की सेवा में लगे हुए हैं. प्रेरणा किसी और ने नहीं दी खुद से मिली. दरअसल शिवनाथ भारती लावारिस पशु पशुओं की हालत देखते तो मन द्रवित हो उठता था.
शिवनाथ भारती ने बताया कि उन्होंने अपने इस अभियान की शुरुआत चल पशुओं से की थी. अभी तक उन्होंने सैकड़ों पशुओं को राहत पहुंचाई है. महंगाई के जमाने में इन पशुओं को पालना कोई मामूली काम नहीं था. शुरुआती दौर में खर्चा खुद उठाते थे. लेकिन, पिछले 20 साल से स्विट्जरलैंड और कलफोर्निया में काम कर रहे इनके इंजीनियर बेटों ने मदद करने का जो सिलसिला शुरू किया वह आज भी बदस्तूर जारी है आज दोनों बेटे महीने में पिता को 3 लाख रुपये भेज देते हैं.
स्थानीय निवासी अशोक मिश्र और अवधेश ओझा बताते हैं कि पटना के राजीव नगर में लावारिस पशुओं को पालने वाले शिवनाथ भारती को लोग किसी मसीहा से कम नहीं मानते. हैरानी की बात है कि इतना सब हो जाने के बावजूद कई बार कसाई खाने से भी लोग आ जाते हैं और पैसे का लालच देकर इन जानवरों को खरीदने की कोशिश करने से बाज नहीं आते हैं. लेकिन उन्हें मिलती है तो केवल और केवल शिवनाथ भारती की खरी-खोटी बातें. जब कोई बीमार पशु की स्वाभाविक मौत हो जाती है तो शिवनाथ भारती उसका अंतिम संस्कार गंगा घाट पर खुद करते हैं. मकसद यही होता है कि लावारिस पशुओं को भी मुक्ति मिल सके.
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Tags: Animal Welfare, Bihar News, PATNA NEWS
FIRST PUBLISHED : August 06, 2023, 15:22 IST
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