Sunday, June 1, 2025
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लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन, वक्ताओं ने किया उनके जीवन मूल्यों का स्मरण

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संगोष्ठी का आयोजन और नेतृत्व

पाकुड़। लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जन्मजयंती के अवसर पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन गुरुवार देर शाम को किया गया। यह संगोष्ठी जिलाध्यक्ष अमृत पाण्डेय की अध्यक्षता में अपर्णा मार्केट कॉम्प्लेक्स में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में जिलेभर से सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक प्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष सह महगामा के पूर्व विधायक अशोक भगत मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।


मुख्य वक्ता का उद्बोधन: अहिल्याबाई का जीवन प्रेरणास्रोत

अपने संबोधन में अशोक भगत ने अहिल्याबाई होलकर के व्यक्तित्व और कृतित्व को भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई एक ऐसी महान नारी थीं जिनका समर्पित जीवन, न्यायप्रिय शासन और धार्मिक निष्ठा हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने सिद्ध किया कि एक महिला भी कुशल प्रशासक, धर्मपरायण शासक और प्रजावत्सला माता हो सकती है। आज भी इंदौर शहर में उनकी स्मृति में अनेक स्मारक, विश्वविद्यालय और संस्थान कार्यरत हैं। उनका जीवन नारी शक्ति, आत्मबल और सेवा-भावना की जीती-जागती मिसाल है।


जिलाध्यक्ष अमृत पाण्डेय का वक्तव्य: न्यायप्रियता की मूर्ति

जिलाध्यक्ष अमृत पाण्डेय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अहिल्याबाई होलकर को आज भी न्यायप्रियता की प्रतिमूर्ति के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने अपने ही पुत्र को अन्यायपूर्ण आचरण के लिए दंडित किया था, जो उनके अटल न्याय सिद्धांतों का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि अहिल्याबाई हर सुबह जनता दरबार लगाती थीं और समानता के साथ सभी की समस्याएं सुनती थीं। उनके शासन में राजकोष का उपयोग केवल जनकल्याण और धर्मार्थ कार्यों के लिए किया जाता था। उन्होंने खुद लेखा-जोखा संभाला और भ्रष्टाचार को न के बराबर रखा। उन्होंने सेना का पुनर्गठन भी किया ताकि राज्य बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित रह सके।


प्रदेश मंत्री दुर्गा मरांडी का वक्तव्य: प्रशासन में महिला सशक्तिकरण

प्रदेश मंत्री दुर्गा मरांडी ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर एकमात्र शासिका थीं जो खुद जनता की समस्याएं सुनती थीं और बिना किसी जाति, धर्म या वर्ग भेद के न्याय देती थीं। उन्होंने शासन व्यवस्था के हर क्षेत्र को सुव्यवस्थित किया — चाहे वह सेना हो, भूमि व्यवस्था हो, कर संग्रह हो या व्यापारिक संरचना। उन्होंने प्रशासन में पारदर्शिता और अनुशासन की नींव रखी।


शर्मिला रजक का वक्तव्य: धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान

शर्मिला रजक ने अहिल्याबाई के धार्मिक योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, रामेश्वरम, द्वारका आदि प्रमुख तीर्थ स्थलों के पुनर्निर्माण में उनका योगदान अद्वितीय है। इसके अलावा उन्होंने धर्मशालाएं, घाट, जलसेवाएं और मंदिरों का निर्माण कराकर समाज को स्थायी संसाधन प्रदान किए।


अनुग्रहित प्रसाद साह का वक्तव्य: महिलाओं और विधवाओं के अधिकार

अनुग्रहित प्रसाद साह ने कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने महिलाओं के कल्याण हेतु अनेक योजनाएं चलाईं। विशेषकर विधवाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए वे हमेशा सक्रिय रहीं। उन्होंने साहित्य, संगीत और संस्कृति को भी संरक्षण दिया। उनके दरबार में विद्वानों और संतों का निवास होता था, जिससे उनका शासन ज्ञान और भक्ति दोनों का संगम था।


कार्यक्रम का संचालन और उपस्थिति

इस संगोष्ठी का संचालन सपन कुमार दुबे ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख थे:

  • पूर्व जिला अध्यक्ष विवेकानंद तिवारी
  • जिला महामंत्री रूपेश भगत, सरिता मुर्मू
  • जिला उपाध्यक्ष धर्मेंद्र त्रिवेदी, पार्थ रक्षित
  • महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष शबरी पाल, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष दीपक साह
  • पवन भगत, मनोरंजन सरकार, सोहन मंडल, सुशांत घोष, सुकुमार मंडल, प्राची चौधरी
  • अजीत रविदास, रतन भगत, जीतू सिंह, राणा शुक्ला, गोपाल राय, तारा गुप्ता
  • मोहन मंडल, निधि गुप्ता, अरुण चौधरी, कोनिका साहा, पिंकी मंडल, अनामिका कुमारी
  • संजीव साह, सूरज भगत, अक्षय मंडल, सुरेश मंडल, सादेकुल आलम
  • एवं सैकड़ों की संख्या में आम नागरिक

प्रेरणा का अमिट स्रोत

कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि अहिल्याबाई होलकर का जीवन आज भी राजनीति, समाज और नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत है। उनका आदर्श, जीवन पद्धति और प्रशासनिक दक्षता आने वाली पीढ़ियों को दिशा देने में सक्षम है। ऐसी न्यायप्रिय, सेवाभावी और समर्पित शासिका की स्मृति में आयोजित यह संगोष्ठी न केवल इतिहास को जीवित करती है, बल्कि वर्तमान को भी आदर्शों की रोशनी प्रदान करती है।

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