पाकुड़। जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDA) के सभागार में सोमवार को उप विकास आयुक्त महेश कुमार संथालिया की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत ब्लॉक प्रोग्राम ऑफिसर (BPO), असिस्टेंट इंजीनियर (AE), जूनियर इंजीनियर (JE), जल छाजन के तकनीकी सहायक, और लघु सिंचाई के तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य जल संचयन, मानव दिवस सृजन, और अन्य योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करना था।
झारखंड में जल संकट और समाधान
उप विकास आयुक्त ने बैठक में झारखंड के भौगोलिक परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राज्य का पहाड़ी क्षेत्र सातवें जोन में आता है। यहां वार्षिक वर्षा लगभग 1200 मिमी होती है। इसके बावजूद जल संचयन के अभाव में सुखाड़ की स्थिति बनी रहती है। उन्होंने बताया कि सामान्य परिस्थितियों में मानव जीवन को 300 से 400 मिमी पानी की आवश्यकता होती है। अगर वर्षा जल को संरक्षित करने की व्यवस्था की जाए, तो न केवल कृषि क्षेत्र में प्रगति होगी बल्कि पेयजल समस्या भी समाप्त हो सकती है।
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रिज टू वैली कांसेप्ट पर कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश
उप विकास आयुक्त ने सभी प्रखंडों के AE और JE को निर्देश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर “रिज टू वैली कांसेप्ट” पर आधारित कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत करें। यह योजना जल संचयन को प्रभावी बनाने और पानी के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन में सफलता से जिले की कृषि उत्पादकता और जनजीवन में सुधार होगा।
मनरेगा के अन्य मापदंडों पर भी चर्चा
बैठक में मनरेगा के अन्य महत्वपूर्ण मापदंडों पर भी चर्चा की गई। इनमें शामिल थे:
- मानव दिवस सृजन: योजनाओं में अधिकतम मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य।
- एबीपीएस (आधार आधारित भुगतान प्रणाली): समय पर और पारदर्शी भुगतान सुनिश्चित करना।
- बिरसा सिंचाई कूप: किसानों के लिए सिंचाई सुविधाओं का विकास।
- सामाजिक अंकेक्षण: योजनाओं की पारदर्शिता और गुणवत्ता की समीक्षा।
- ऑनलाइन प्रगति की निगरानी: सभी गतिविधियों को समय पर ऑनलाइन अपलोड करना।
अन्य अधिकारियों का सुझाव
बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी और जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने भी जल संचयन के महत्व पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जल संकट को दूर करने में मनरेगा के तहत संचालित योजनाएं अहम भूमिका निभा सकती हैं। इन योजनाओं के माध्यम से वर्षा जल को संरक्षित कर जिले को पानी की किल्लत से बचाया जा सकता है।
जल संचयन से विकास की नई राहें खुलेंगी
उप विकास आयुक्त ने जल संचयन को जिले की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि इससे जिले के कृषि क्षेत्र में समृद्धि आएगी और पेयजल संकट से राहत मिलेगी। बैठक का समापन सभी अधिकारियों को योजनाओं में गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के निर्देश के साथ हुआ।
यह बैठक झारखंड के जल प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। अगर निर्देशित योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो जिले में न केवल कृषि विकास होगा बल्कि जल संकट की समस्या भी समाप्त होगी।