झालसा के निर्देश पर हुआ मध्यस्थता जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम
पाकुड़। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा), रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के तत्वावधान में एक प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम मध्यस्थता प्रक्रिया को सशक्त और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। इसका उद्देश्य मीडिएटर अधिवक्ताओं की दक्षता में वृद्धि करना और उन्हें विवाद समाधान की वैकल्पिक प्रणाली (ADR) के तहत बेहतर कार्य निष्पादन के लिए प्रशिक्षित करना था।
न्यायाधीश एवं सचिव की उपस्थिति में हुआ प्रशिक्षण
यह प्रशिक्षण प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़, शेष नाथ सिंह के निर्देश पर तथा सचिव रूपा बंदना किरो की उपस्थिति और मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। उन्होंने प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्यस्थता वर्तमान न्याय प्रणाली का एक अनिवार्य अंग बन चुकी है, और इसके जरिए त्वरित, सहज और सौहार्दपूर्ण समाधान संभव है।
मध्यस्थता की प्रक्रिया एवं भूमिका पर विस्तृत चर्चा
कार्यक्रम के दौरान मध्यस्थता की प्रक्रिया, उसके कानूनी आधार, व्यवहारिक पक्ष, एवं सफल मध्यस्थता के लिए आवश्यक कौशल पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। मीडिएटर अधिवक्ताओं को बताया गया कि किस प्रकार विवादों को अदालत के बाहर सुलझाकर न्यायिक प्रणाली पर बोझ को कम किया जा सकता है, और कैसे दोनों पक्षों की सहमति से समाधान निकालना संभव होता है।
सफल मध्यस्थता के लिए दिशा-निर्देश और रणनीतियाँ
प्रशिक्षण सत्र में अधिक से अधिक सफल मध्यस्थता सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक रणनीतियाँ, सकारात्मक संवाद कौशल, निष्पक्षता, तथा गोपनीयता जैसे बिंदुओं पर विशेष बल दिया गया। यह भी बताया गया कि मीडिएटर की निष्पक्ष और संवेदनशील भूमिका किस प्रकार विवाद को जड़ से सुलझाने में मददगार बनती है।
मीडिएटर अधिवक्ताओं की सक्रिय भागीदारी
इस अवसर पर पाकुड़ जिले के मीडिएटर अधिवक्ताओं की सक्रिय उपस्थिति रही। सभी ने प्रशिक्षण में उत्साहपूर्वक भाग लिया और मध्यस्थता प्रक्रिया से संबंधित अपने अनुभव भी साझा किए। उनके विचारों और प्रश्नों के माध्यम से कार्यक्रम में ज्ञानवर्धक संवाद हुआ, जिससे सभी प्रतिभागियों को लाभ हुआ।
मध्यस्थता : न्याय तक पहुंच का प्रभावी विकल्प
इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट किया कि मध्यस्थता न केवल एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द और कानूनी व्यवस्था की सुलभता को सुनिश्चित करने का एक प्रभावशाली माध्यम भी है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के इस प्रयास से यह उम्मीद की जा रही है कि स्थानीय स्तर पर अधिकाधिक वाद मध्यस्थता के जरिए सुलझाए जा सकेंगे, जिससे न्याय प्रणाली पर दबाव कम होगा और आम नागरिकों को त्वरित न्याय मिलेगा।
यह आयोजन मीडिएटर अधिवक्ताओं के व्यावसायिक विकास, मध्यस्थता के प्रति जनजागरूकता, और न्यायपालिका की दक्षता में वृद्धि की दिशा में एक सार्थक और सराहनीय प्रयास सिद्ध हुआ।