Sunday, August 24, 2025
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न्यायिक कर्मियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण: सीआईएस और ई-कोर्ट प्रणाली पर विशेष जोर

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प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन

पाकुड़। व्यवहार न्यायालय के सभागार में रविवार को सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक दो पालियों में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण ईसीटी 9-2025 के अंतर्गत सीआईएस (केस इन्फॉर्मेशन सिस्टम) और अन्य विषयों पर केंद्रित रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेषनाथ सिंह ने की।


मास्टर ट्रेनर्स ने दी गहन जानकारी

प्रशिक्षण के दौरान मास्टर ट्रेनर अर्पणा कुजूर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़कर न्यायिक कर्मियों को मार्गदर्शन दिया। वहीं न्यायालय में उपस्थित मास्टर ट्रेनर नगमा प्रवीण ने प्रत्यक्ष रूप से प्रशिक्षण दिया।
सत्र में ई-कोर्ट प्रणाली, सीआईएस का उपयोग, डेटा प्रबंधन, सर्वोच्च न्यायालय की ई-कोर्ट पहल, केस की कार्यवाही, निर्णय एवं आदेश अपलोड करने की प्रक्रिया, और ऑनलाइन केस हियरिंग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।


सक्रियता दिखाते कर्मी

प्रशिक्षण में शामिल न्यायालय कर्मियों ने उत्साहपूर्वक अपनी भागीदारी दर्ज कराई। कई कर्मियों ने प्रशिक्षण के दौरान प्रश्न पूछे और अपने सुझाव साझा किए, जिससे कार्यक्रम का उद्देश्य और भी सार्थक हो गया।


न्यायिक अकादमी की पहल

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बताया कि ज्यूडिशियल अकादमी द्वारा समय-समय पर ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे न्यायिक पदाधिकारियों, कर्मियों और अधिवक्ताओं को नई तकनीकों की जानकारी मिल सके।
रविवार को आयोजित इस कार्यक्रम में 50 न्यायालय कर्मियों ने हिस्सा लिया। विशेष रूप से सीआईएस (केस इन्फॉर्मेशन सिस्टम) पर गहन चर्चा हुई और यह बताया गया कि जजमेंट कॉपी पर क्यूआर कोड किस प्रकार अपलोड किया जाए।


वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन गवाही

प्रशिक्षण के दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि भविष्य में महत्वपूर्ण गवाहों का बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन दर्ज किया जाएगा। यह प्रक्रिया न्यायिक कार्यों को और अधिक पारदर्शी व सुगम बनाएगी।
इसके अलावा यह जानकारी दी गई कि यदि उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर कोई आदेश या निर्णय अपलोड हो जाता है, तो वह आदेश स्वतः ही निचली अदालत में मान्य होगा। निचली अदालतें उस आदेश को डाउनलोड कर अपने ऑर्डर शीट में अंकित कर सकती हैं और आगे की प्रक्रिया को शीघ्र गति से आगे बढ़ा सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, बेल ऑर्डर या अपील से संबंधित आदेश सीधे लागू हो जाएंगे।


न्यायिक कार्यों में त्वरित निष्पादन पर जोर

सत्र न्यायाधीश ने इस अवसर पर कर्मियों से कहा कि न्यायिक कार्यों को व्यवस्थित ढंग से करना और पुराने वादों का त्वरित निष्पादन करना समय की मांग है। उन्होंने न्यायिक पदाधिकारियों और कर्मियों से अपील की कि वे पूरी तत्परता और सहयोग से कार्य करें ताकि समय पर न्याय उपलब्ध हो सके।


स्वास्थ्य और कार्य संतुलन का संदेश

अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि स्वच्छ वातावरण में रहना और स्वास्थ्य पर ध्यान देना न्यायिक कर्मियों की प्राथमिकता होनी चाहिए। स्वस्थ रहकर ही वे अपने दायित्वों का निर्वहन बेहतर ढंग से कर पाएंगे।


वरिष्ठ न्यायिक पदाधिकारियों की उपस्थिति

कार्यक्रम के दौरान अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी एवं फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट जज इंचार्ज विशाल कुमार दास भी विशेष रूप से उपस्थित रहे और प्रशिक्षण के महत्व पर अपने विचार रखे।


यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल तकनीकी जानकारी को मजबूत करने की दिशा में एक कदम साबित हुआ, बल्कि इसने न्यायालय कर्मियों को भविष्य की न्यायिक प्रक्रिया की डिजिटल रूपरेखा से भी परिचित कराया।

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