पाकुड़। सिद्धो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका और उसके अधीनस्थ महाविद्यालयों के शिक्षकेतर कर्मचारी संघ द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया गया है। इस निर्देश के अनुसार, 9 दिसंबर 2024 से विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में सभी कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। हड़ताल के दौरान यदि कोई कर्मचारी अनुपस्थित पाया जाता है, तो उनके खिलाफ आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
हड़ताल को अवकाश नहीं माना जाएगा। इस संबंध में स्पष्ट कर दिया गया है कि हड़ताल की अवधि में भी कार्यस्थल पर सभी कर्मचारियों का उपस्थित रहना आवश्यक है। 9 दिसंबर 2024 से शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी, और इस दिन से महाविद्यालय का समस्त कार्य पूर्णतः ठप्प रहेगा।
महत्वपूर्ण कार्य बाधित होंगे
इस हड़ताल के दौरान इंटरमीडिएट पंजीकरण और परीक्षा प्रपत्र से संबंधित सभी कार्य भी बंद रहेंगे। इस कदम का उद्देश्य अपनी एक सूत्री मांग पर ध्यान आकर्षित करना है, जिसमें 01 जनवरी 2016 से लागू 7वें वेतनमान का शीघ्र भुगतान शामिल है।
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सहयोग का आह्वान
शिक्षकेतर कर्मचारी संघ ने महाविद्यालय प्रशासन और शिक्षकों से अनुरोध किया है कि वे इस न्यायोचित मांग का समर्थन करें और सहयोग प्रदान करें। संघ का मानना है कि यह संघर्ष कर्मचारियों के अधिकारों और न्याय के लिए है, और इसमें सभी का समर्थन आवश्यक है।
संघ के पदाधिकारी का बयान
यह प्रेस विज्ञप्ति नीरज कुमार, संयुक्त सचिव, प्रक्षेत्रीय कर्मचारी संघ, सिद्धो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका और सह सचिव, शिक्षकेतर कर्मचारी संघ, के.के.एम. कॉलेज, पाकुड़ द्वारा जारी की गई है। उन्होंने कहा, “हमारी मांग वर्षों से लंबित है। शिक्षकेतर कर्मचारी कड़ी मेहनत के बावजूद अपने अधिकारों से वंचित हैं। अब समय आ गया है कि सभी कर्मचारी एकजुट होकर अपनी आवाज़ बुलंद करें।”
आंदोलन की पृष्ठभूमि
शिक्षकेतर कर्मचारी लंबे समय से 7वें वेतनमान के तहत अपना वेतनमान लागू करने की मांग कर रहे हैं। यह वेतनमान 1 जनवरी 2016 से प्रभावी है, लेकिन अब तक इसका लाभ कर्मचारियों को नहीं दिया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और वित्तीय असुरक्षा के बीच यह उनके जीवनयापन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
संभावित प्रभाव
हड़ताल के कारण महाविद्यालयों के विभिन्न प्रशासनिक कार्य बाधित हो सकते हैं।
- छात्रों का पंजीकरण कार्य प्रभावित होगा।
- परीक्षा से संबंधित कार्य ठप्प हो सकते हैं।
- शिक्षण और प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरा असर पड़ने की संभावना है।
एकता और संघर्ष की अपील
संघ ने कर्मचारियों और शिक्षकों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में पूरी एकता और दृढ़ता दिखाएं। संघ के अनुसार, “यह संघर्ष केवल एक मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षकेतर कर्मचारियों की गरिमा और उनके अधिकारों के लिए है।”
प्रेस विज्ञप्ति का उद्देश्य
यह निर्देश कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारी और हड़ताल के दौरान उनकी भूमिका के प्रति जागरूक करने के लिए जारी किया गया है। संघ ने स्पष्ट किया है कि यह हड़ताल कर्मचारियों की न्यायोचित मांग को सरकार और प्रशासन के सामने प्रभावी ढंग से रखने के लिए है।
शिक्षकेतर कर्मचारी संघ का यह कदम एक मजबूत संदेश है कि वे अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि शिक्षण और प्रशासनिक इकाइयों का सहयोग इस आंदोलन को सफल बनाएगा।
“हमारी एकता ही हमारी ताकत है।”
महाविद्यालय प्रशासन और शिक्षकों से समर्थन की अपील के साथ यह प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई।