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शिखा श्रेया/रांची. एक कहावत है कि जिंदगी में कभी भी डर कर रुकना नहीं, चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल हो झुकना नहीं. यह सिर्फ किसी के लिए एक शब्द हो सकते हैं, लेकिन झारखंड की राजधानी रांची के तुपुदाना निवासी कलीम अंसारी इन शब्दों को अपने जीवन में भी उतार कर व विपरीत परिस्थितियों से लड़ कर आज अपने परिवार को एक अच्छी और बेहतर जिंदगी दे रहे हैं.
दरअसल, कलीम अंसारी ने अपने घर में मौजूद मारुति वैन को राशन दुकान बना डाला और आज वो तुपुदाना बाजार में इसे लगाते हैं. कलीम अंसारी ने न्यूज 18 लोकल को बताया कि मेरे पास एक मारुति वैन है. इसको मैं स्कूल के लिए चलाया करता था. कोरोना के समय सभी स्कूल बंद हो गये थे, इससे मेरा काम पूरी तरह ठप पड़ गया था. तब मैनें अपनी मारुति वैन को राशन दुकान में तब्दील कर दिया और घर-घर राशन पहुंचाना शुरू किया.
कोरोना में काम ठप पड़ने के बाद आया यह आइडिया
कलीम अंसारी बताते हैं कि कोरोना के समय स्कूल बंद होने के कारण जब मेरा वैन भी घर पर पड़ा रहा और काम पूरी तरह ठप हो गया, तो आलम यह था कि घर में खाने की किल्लत हो गई थी. बच्चों के स्कूल फ़ीस भरने के भी पैसे नहीं थे. इस समय घर पर खाली बैठना नामुमकिन था. मुझे कुछ ना कुछ करना था. तभी यह आइडिया दिमाग में आया कि फिलहाल लोग जब घर से बाहर नहीं निकल पा रह हैं तो क्यों ना मैं अपनी वैन से राशन लेकर इसे घर-घर लोगों तक पहुंचाने का काम करूं.
उन्होंने आगे बताया कि तभी मैंने अपनी मिनी वैन को राशन दुकान में तब्दील कर दिया और इसमे सारे ब्रांडेड आइटम ही रखता हूं. किचन के सारे सामान इस मिनी वैन राशन दुकान में मिल जाएंगे. कोरोना के समय मैंने घर-घर राशन पहुंचाना शुरू किया था. इससे लॉकडाउन में भी मेरी कमाई नहीं रुकी. मैंने इसी काम को आगे बढ़ाते हुए तुपुदाना बाजार में अपना राशन वैन लगाना शुरू किया. इससे मुझे दुकान का भाड़ा भी नहीं देना पड़ता है.
RCM कंपनी से मिली मदद
कलीम अंसारी ने बताया कि इस दौरान मुझे किसी ने आरसीएम कंपनी (जो अपने प्रोडक्ट को डायरेक्ट सेल करने के लिए देती है) की जानकारी दी. मैंने इस कंपनी से कॉन्टैक्ट किया. रांची में इसका एक आउटलेट है. वहीं से मैं राशन का सभी सामान सस्ते दामों में उठाता (लेता) हूं, फिर इसे अपने वैन में रख कर सेल करता हूं. कंपनी से जुड़ने पर मुझे काफी सस्ते रेट में सामान मिल जाता है जिससे बचत अच्छी होती है.
कलीम ने बताया कि जहां एक समय फीस भरने के पैसे नहीं थे. वहीं, आज मेरे बच्चे कक्षा दसवीं में डोरंडा के संत ज़ेवियर स्कूल और वही दूसरी लड़की नगरी के स्कूल में कक्षा चौथी में पढ़ती है. दोनों अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. साथ ही, मैं अपना घर भी अच्छे से चला रहा हूं. हालांकि, जब यह काम शुरू किया था तो कुछ लोग मजाक उड़ाते थे. कहते थे- घूम घूम कर सामान बेचता है, लेकिन मैंने हमेशा यही माना है कि अगर आप ईमानदारी से कोई भी काम करते हैं तो इसमें आपको शर्माने की जरूरत नहीं है. बल्कि, मेहनत कर के अपनी जिम्मेदारी उठाने वाले ही जिंदगी में आगे बढ़ते हैं.
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Tags: Jharkhand news, Local18, Ranchi news, Success Story
FIRST PUBLISHED : August 07, 2023, 15:05 IST
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