Friday, May 23, 2025
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पति-पत्नी के रिश्ते में लौटी मिठास: कुटुंब न्यायालय के प्रयास से हुआ सफल समझौता

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लोक अदालत में हुआ पारिवारिक विवाद का शांतिपूर्ण समाधान

पाकुड़ जिले में कुटुंब न्यायालय ने एक बार फिर अपने मानवीय पहल और सुलह-सफाई की प्रक्रिया से समाज में सकारात्मक संदेश दिया है। शुक्रवार को आयोजित मासिक लोक अदालत के दौरान एक महत्वपूर्ण पारिवारिक विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान हुआ। यह मामला मेंटेनेंस केस नंबर 10/2025 था, जिसमें परवीन खातुन उर्फ बीबी बनाम नूर मोहम्मद शेख उर्फ पंटू के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद अब समाप्त हो गया है।


प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में हुआ समाधान

इस लोक अदालत की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के शेषनाथ सिंह ने की। उनके नेतृत्व में अदालत में दोनों पक्षों को बातचीत के जरिए समझौते की राह पर लाया गया। यह समझौता कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश सुधांशु कुमार शशि के प्रयासों का परिणाम है, जिन्होंने दोनों पक्षों को धैर्यपूर्वक सुना और समझाने का कार्य किया।


राजी-खुशी साथ लौटे पति-पत्नी

अदालत में जब दोनों पक्षों की ओर से समझौता हुआ, तो वहां मौजूद सभी लोगों के चेहरों पर संतोष के भाव थे। परवीन खातुन और नूर मोहम्मद शेख, जो लंबे समय से एक-दूसरे से अलग रह रहे थे, अब राजी-खुशी एक साथ रहने के लिए तैयार हो गए हैं। पति ने अदालत परिसर में ही अपनी पत्नी को साथ ले जाने का निर्णय लिया, जिससे वहां मौजूद लोगों के बीच सकारात्मक माहौल बना।


अधिवक्ताओं की रही अहम भूमिका

इस सुलह प्रक्रिया में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। पत्नी की ओर से अधिवक्ता राहुल सरकार और पति की ओर से अधिवक्ता स्वराज सिंह ने कानूनी प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित किया और पारिवारिक भावनाओं को समझते हुए अदालत को सहयोग प्रदान किया।


न्यायपालिका की मानवीय पहल

यह मामला कुटुंब न्यायालय की उस मानवीय पहल का उदाहरण है, जिसमें अदालत न केवल कानून के दायरे में कार्य करती है, बल्कि रिश्तों को जोड़ने और समाज में सद्भावना बनाए रखने में भी अपनी जिम्मेदारी निभाती है। इस प्रकार के समाधान न केवल परिवारों को टूटने से बचाते हैं, बल्कि समाज में भी न्यायपालिका की सकारात्मक भूमिका को रेखांकित करते हैं।


इस लोक अदालत के माध्यम से न केवल एक पारिवारिक विवाद समाप्त हुआ, बल्कि यह भी साबित हुआ कि संवाद, समझदारी और न्यायिक सहयोग से हर समस्या का समाधान संभव है।

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