पाकुड़। झालसा रांची के निर्देशानुसार 25 जनवरी 2025, शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के तत्वावधान में मासिक लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया। यह आयोजन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़, शेष नाथ सिंह की अध्यक्षता में व्यवहार न्यायालय, पाकुड़ परिसर में किया गया।
लोक अदालत में नौ बेंचों का गठन
इस लोक अदालत में कुल नौ बेंचों का गठन किया गया था। इन बेंचों का उद्देश्य सुलह-समझौते के आधार पर मामलों का शीघ्र और न्यायपूर्ण निपटारा करना था। सुलह और समझौते के माध्यम से नौ वादों का निष्पादन किया गया, जो जिला विधिक सेवा प्राधिकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
38 लाख 8 हजार का समझौता कराया गया
इस लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर 38 लाख 8 हजार रुपये के मामलों का निष्पादन किया गया। यह न्यायपालिका और वादकारियों के बीच विश्वास का प्रतीक है। समझौते के माध्यम से मामलों को शीघ्र हल करना न्यायालयों के बोझ को कम करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
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मौके पर उपस्थित प्रमुख न्यायाधीश और अधिकारी
कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह के साथ-साथ अन्य प्रमुख न्यायिक अधिकारी भी उपस्थित थे। इनमें प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय सुधांशु कुमार शशि, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद, सचिव अजय कुमार गुड़िया, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सादिश उज्जवल बेक, और प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास शामिल थे। इनके साथ ही वादी, प्रतिवादी, अधिवक्ता और अन्य संबंधित लोग भी उपस्थित रहे।
लोक अदालत की उपयोगिता पर बल
कार्यक्रम के दौरान न्यायाधीशों ने लोक अदालत की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लोक अदालत सुलह-समझौते के माध्यम से वादों का शीघ्र निपटारा करने का एक प्रभावी माध्यम है। यह न केवल न्यायपालिका का समय बचाता है, बल्कि वादी-प्रतिवादी को आपसी सहमति के साथ विवाद सुलझाने का अवसर भी प्रदान करता है।
लोक अदालत: त्वरित न्याय का माध्यम
लोक अदालत के माध्यम से मामलों का त्वरित निपटारा करना न केवल न्याय प्रक्रिया को सरल बनाता है, बल्कि लोगों को न्याय के प्रति अधिक विश्वास भी प्रदान करता है। ऐसे आयोजन न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मासिक लोक अदालत का यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस आयोजन ने यह साबित किया कि आपसी सुलह और समझौते के माध्यम से न्याय प्राप्त करना न केवल आसान है, बल्कि समय और संसाधनों की बचत का भी एक प्रभावी तरीका है। ऐसे कार्यक्रम न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और दक्षता को और बढ़ावा देते हैं।