जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सभागार में हुआ विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम
झालसा रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के तत्वाधान में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ शेष नाथ सिंह की अध्यक्षता में पीएलवी (पैरा लीगल वॉलिंटियर्स) कैपेसिटी बिल्डिंग सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सभागार में आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में पीएलवी, न्यायिक अधिकारी एवं सामाजिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य था — ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर कानूनी जागरूकता को सशक्त बनाना और पैरा लीगल वॉलिंटियर्स के कार्यकौशल को और अधिक प्रभावी बनाना।
न्यायिक प्रक्रिया में पीएलवी की भूमिका पर मिला मार्गदर्शन
इस अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह ने उपस्थित सभी पैरा लीगल वॉलिंटियर्स (PLV) को संबोधित करते हुए कहा कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्यायिक सुविधा पहुंचाना ही डीएलएसए (DLSA) का मूल उद्देश्य है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक पीएलवी को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए प्रारंभिक कानूनी सहायता प्रदान करनी चाहिए, जैसे — पीड़ित या जरूरतमंद व्यक्तियों का आवेदन तैयार करने में सहायता करना, एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया समझाना, और कानूनी योजनाओं की जानकारी देना।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हर पैरा लीगल वॉलिंटियर स्वयं कानूनी रूप से सशक्त बने ताकि वे दूसरों की मदद आत्मविश्वास के साथ कर सकें।
सचिव रूपा बंदना किरो ने दी योजनाओं की विस्तृत जानकारी
कार्यक्रम की सचिव रूपा बंदना किरो ने आज के प्रशिक्षण के उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने नालसा (NALSA) द्वारा संचालित विभिन्न कानूनी सहायता योजनाओं की जानकारी दी और बताया कि कैसे जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के माध्यम से निःशुल्क कानूनी सहायता जरूरतमंदों तक पहुंचाई जा रही है।
उन्होंने पीएलवी को यह भी बताया कि वे नालसा की योजनाओं, महिला और बाल अधिकार संरक्षण, तथा कानूनी सशक्तिकरण अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लें। रूपा बंदना किरो ने कहा कि पीएलवी समाज में न्यायिक जागरूकता के प्रमुख वाहक हैं और उनकी भूमिका लोगों तक न्याय पहुंचाने में अहम है।
कानूनी सहायता को ईमानदारी से निभाने की अपील
लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के डिप्टी चीफ मो. नुकूमुद्दीन शेख ने अपने संबोधन में कहा कि समाज के पिछड़े वर्गों एवं जरूरतमंद लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना एक मानव धर्म और संवैधानिक कर्तव्य है।
उन्होंने सभी पीएलवी से आग्रह किया कि वे अपने कार्य को ईमानदारी और निष्ठा से निभाएं तथा समाज के हर वर्ग तक कानूनी जागरूकता पहुंचाएं।
उन्होंने मौलिक अधिकार, कानूनी अधिनियमों तथा न्यायिक व्यवस्थाओं के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी, जिससे पीएलवी अपने कार्य को और अधिक प्रभावी ढंग से अंजाम दे सकें।
बाल विवाह, महिला हिंसा और शिक्षा पर चर्चा
जिला प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर (चाइल्ड प्रोटेक्शन पीसीआई) मोहम्मद अनीस अंसारी ने अपने संबोधन में समाज में बढ़ते बाल विवाह, महिला हिंसा, और लिंग आधारित भेदभाव जैसे मुद्दों पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि इन सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए हमें जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा सावित्रीबाई फुले योजना, किशोरी शक्ति योजना, और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन जैसी योजनाओं के माध्यम से लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि पुरोहित, मौलवी, पादरी, पंडित सहित समाज के सभी धार्मिक वर्गों को बाल विवाह जैसी कुरीति के खिलाफ जागरूक किया जाए।
जिला प्रशासन की ओर से भी निर्देश दिया गया है कि टेंट, डीजे, कैटरिंग, जनरेटर सेवा देने वाले व्यक्ति बाल विवाह जैसे आयोजनों में सहयोग न करें।
सामूहिक प्रयासों से संभव है सामाजिक परिवर्तन
कार्यक्रम में यह संदेश दिया गया कि बाल विवाह रोकथाम और महिला सशक्तिकरण केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि सामूहिक सामाजिक सहयोग से संभव है।
जब समाज के सभी वर्ग — प्रशासन, न्यायपालिका, धार्मिक संस्थान और नागरिक — एकजुट होकर काम करेंगे, तभी समाज में न्याय और समानता का वातावरण बन सकेगा।
कार्यक्रम में उपस्थित रहे अनेक न्यायिक अधिकारी
इस अवसर पर अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के सहायक अज़फर हुसैन विश्वास, और कई पैरा लीगल वॉलिंटियर्स (PLV) उपस्थित रहे।
सभी प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक बताया और आगे भी ऐसे प्रशिक्षण सत्रों के आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया।
यह पीएलवी कैपेसिटी बिल्डिंग सह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल कानूनी साक्षरता बढ़ाने की दिशा में एक सराहनीय पहल साबित हुआ, बल्कि इसने यह भी दर्शाया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ न्यायिक पहुँच को जन-जन तक ले जाने के अपने संकल्प को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है।
इस तरह के कार्यक्रमों से निश्चित रूप से न्यायिक जागरूकता, सामाजिक जिम्मेदारी और समानता आधारित समाज की स्थापना को बल मिलेगा।


