Friday, May 9, 2025
HomeTechnology को उपयोगकर्ता के मन में भय नहीं करना चाहिए : CJI...

Technology को उपयोगकर्ता के मन में भय नहीं करना चाहिए : CJI चंद्रचूड़

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें

[ad_1]

यहां तक कि उच्चतम न्यायालय में भी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग (सीधे प्रसारण) के लिए पायलट आधार पर एआई का उपयोग कर रहे हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब हमें यह देखना चाहिए कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी किस प्रकार से मानव विकास में मदद कर सकते हैं।

चेन्नई। भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने तकनीक का हानिकारक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किए जाने को लेकर आगह करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ताओं के मन में भय पैदा नहीं करना चाहिए अन्यथा लोग खुले एवं मुक्त रूप से अपने विचार व्यक्त नहीं कर पायेंगे।
आईआईटी मद्रास के 60वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में शनिवार को भारत के मख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ कोई भी प्रौद्योगिकी निर्वात में जन्म नहीं लेती है, बल्कि वह उस समय की सामाजिक वास्तविकता तथा कानूनी, आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था का परिचायक होती है।’’

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने आज राष्ट्रीयता समेत कई बाधाओं को समाप्त कर दिया है और कोई भी एक बार में लाखों संदेश भेज सकता है जो ऑफलाइन माध्यम से संभव नहीं है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि लेकिन प्रौद्योगिकी के उद्भव के साथ ही नये व्यवहार का जन्म भी हुआ है और यह आनलाइन मध्यम से धमकी, गाली गलौच करने और ट्रोल करने का है।उन्होंने कहा कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब प्रौद्योगिकी के विकास के साथ इन विषयों पर भी विचार करने की जरूरत है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ आज कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) ऐसे शब्द हैं जो हर किसी की जुबान पर हैं। कृत्रिम बुद्धिमताके माध्यम से कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है।’’
उन्होंने कहा कि एआई के साथ चैट जीपीटी साफ्टवेयर का उपयोग भी बढ़ा है जो चुटकुले बनाने से लेकर कोडिंग करने और कानूनी विषयों को लिखने तक में देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि उच्चतम न्यायालय में भी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग (सीधे प्रसारण) के लिए पायलट आधार पर एआई का उपयोग कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब हमें यह देखना चाहिए कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी किस प्रकार से मानव विकास में मदद कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के विकास के साथ ऑनलाइन धमकी, गाली गलौच और परेशान किये जाने की घटनाएं भी आ रही हैं और यह बात भी स्पष्ट होती है कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हानिकारक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ताओं के मन में भय पैदा करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा लोग खुले एवं मुक्त रूप से अपने विचार व्यक्त नहीं कर पायेंगे।’’
आईआईटी मद्रास के 60वें दीक्षांत समारोह में 2571 छात्रों को स्नातक डिग्री प्रदान की गई।
इस अवसर पर आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो.वी कामकोटि ने छात्रों को शुभकामनाएं दी।

Disclaimer:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



[ad_2]

Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments