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Bloomber की रिपोर्ट में Markets Live Pulse सर्वे के हवाले से बताया गया है कि इस सर्वे में शामिल हुए 54 प्रतिशत लोगों ने टेस्ला के लिए कॉम्पिटिशन बढ़ने को बड़ा रिस्क बताया। इसके अलावा 26 प्रतिशत लोगों का कहना था कि मस्क का व्यवहार और उनके फैसले टेस्ला के शेयरहोल्डर्स के लिए चिंता का कारण हैं। टेस्ला के प्रॉफिट मार्जिन में कमी आई है। इस सर्वे में लगभग 67 प्रतिशत लोगों का कहना था कि मस्क को टेस्ला पर अधिक ध्यान देना चाहिए। हालांकि, इस वर्ष टेस्ला के शेयर में 128 प्रतिशत की जोरदार तेजी आई है। इसके पीछे टेक सेक्टर की बड़ी कंपनियों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ना और मस्क का जल्द फुली ऑटोनॉमस व्हीकल्स लॉन्च करने की घोषणा करना जैसे कारण हैं।
EV के इंटरनेशनल मार्केट में टेस्ला का पहला स्थान है। हालांकि, इसके राइवल्स की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। चीन की BYD ने दूसरी तिमाही में 3,52,163 EV की डिलीवरी की है। टेस्ला के लिए यह आंकड़ा 4,66,140 यूनिट्स का रहा, जो कंपनी के लिए एक रिकॉर्ड है। इसके बावजूद एनालिस्ट्स का कहना है कि कंपनी की यह बढ़त जल्द समाप्त हो सकती है क्योंकि राइवल्स के हिस्सेदारी बढ़ाने के साथ ही अमेरिका में सरकार की नई पॉलिसी से अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियां भी इस सेगमेंट में अपने व्हीकल लॉन्च कर सकती हैं।
टेस्ला ने भारत में फैक्टरी लगाने के लिए केंद्र सरकार के साथ बातचीत शुरू कर दी है। कंपनी की फैक्टरी की वार्षिक कैपेसिटी लगभग पांच लाख यूनिट्स की होगी। कंपनी की भारत में बनी इलेक्ट्रिक कारों के प्राइसेज 20 लाख रुपये से शुरू हो सकते हैं। टेस्ला की योजना भारत को एक्सपोर्ट के लिए बेस बनाने की भी है। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मस्क की अमेरिका में मीटिंग हुई थी। इसके बाद मस्क ने कहा था कि वह जितना जल्द हो सके भारत में इनवेस्टमेंट करने पर विचार कर रहे हैं। उनका कहना था, “दुनिया में किसी बड़े देश की तुलना में भारत में अधिक संभावनाएं हैं। मुझे विश्वास है कि टेस्ला जल्द भारत में आएगी।”
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