Saturday, May 10, 2025
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मणिपुर के डीजीपी के सामने पुलिसबल को एकजुट रखने की चुनौती

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बदमाशों और अवांछित तत्वों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सुरक्षा बलों ने मणिपुर में घाटी तथा पर्वतीय इलाकों समेत विभिन्न स्थानों पर 125 जांच चौकियां बनाई हैं और 352 लोगों को हिरासत में लिया है।

पिछले महीने हिंसाग्रस्त मणिपुर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का दायित्व संभालने के तुरंत बाद राजीव सिंह को राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने, पुलिस बल को एकजुट रखने और उनमें विश्वास पैदा करने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि जातीय झड़पों के बाद 45,000 कर्मियों वाली मणिपुर पुलिस दो गुटों में विभाजित हो गई है। मेइती समुदाय के पुलिस कर्मी सुरक्षा के लिए इंफाल घाटी का रुख कर रहे हैं, जबकि कुकी समुदाय के कर्मी पर्वतीय इलाकों की तरफ जा रहे हैं।
पूर्वोत्तर राज्य में मेइती और कुकी समुदाय के सदस्यों के बीच हिंसक झड़पों के बाद तीन मई से ही अशांति व्याप्त है।
त्रिपुरा कैडर के 1993 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी सिंह को मणिपुर पुलिस का प्रमुख बनाया गया है।

मणिपुर पुलिस पर राज्य में जारी हिंसा से निपटने में नाकाम रहने का आरोप है। पुलिस प्रमुख नियुक्त होने से पहले सिंह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में प्रतिनियुक्ति पर थे।
अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस प्रमुख का पद संभालने के तुंरत बाद सिंह ने पाया कि करीब 1,200 कर्मी ड्यूटी से गायब हैं। उन्होंने कहा कि सिंह का पहला काम इन लोगों की पहचान करना और उन्हें जहां भी सुविधा हो, वहां ‘ड्यूटी पर वापस बुलाने’ की औचारिकताएं पूरी करना है।
सिंह से इस संबंध में टिप्पणी नहीं मिल सकी है, लेकिन घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि करीब 1,150 कर्मी ड्यूटी पर लौट आए हैं।
सिंह का दूसरा काम पासिंग आउट परेड का इंतजार कर रहे 304 नव नियुक्त कांस्टेबल को बल में शामिल करना था। इनमें हिंसा में शामिल दोनों समुदायों के युवा भी शामिल हैं।

पुलिस प्रमुख ने इस मसले को हल करने के लिए तकनीक का सहारा लिया और पासिंग आउट परेड की जगह पासिंग आउट समारोह का आयोजन किया, जिसमें मेइती और कुकी समुदाय के युवा पुलिसकर्मियों ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये रस्मी शपथ ग्रहण की।
अधिकारियों ने बताया कि इसके तुरंत बाद नव नियुक्त कांस्टेबल को उन इलाकों में ड्यूटी पर भेजा गया, जहां उन्होंने शरण ली हुई थी।
पुलिसकर्मियों द्वारा दंगाइयों को कथित तौर पर उनके हथियार और गोला-बारूद लूटने देने की घटनाओं से निपटने के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि सख्त चौकसी की जाए और ऐसी घटनाओं को दोबारा न होने दिया जाए।
जमीनी स्तर पर इसका नतीजा तब दिखा, जब सैकड़ों दंगाइयों द्वारा थौबल जिले में हथियार लूटने के लिए इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के शिविर में घुसने की कोशिश को सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया।

अधिकारियों के अनुसार, भीड़ ने बाद में उस जवान के घर में आग लगा दी, जो आईआरबी शिविर में तैनात था और जिसने हथियारों व गोला-बारूद की लूट रोकने में अहम भूमिका निभाई थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा, ‘‘विडंबना यह है कि पुलिस कांस्टेबल भी उसी समाज से जुड़े हुए हैं और हर किसी को आक्रोश से डर लगता है।’’
अधिकारियों ने बताया कि अब राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मणिपुर पुलिस तथा केंद्रीय बलों द्वारा तलाशी ली जा रही है और कुछ इलाकों में इस कवायद के नतीजे दिखे हैं, जहां हथियार एवं गोला-बारूद बरामद किए गए हैं।
बदमाशों और अवांछित तत्वों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सुरक्षा बलों ने मणिपुर में घाटी तथा पर्वतीय इलाकों समेत विभिन्न स्थानों पर 125 जांच चौकियां बनाई हैं और 352 लोगों को हिरासत में लिया है।

Disclaimer:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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