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जितेन्द्र कुमार झा/लखीसराय: रासायनिक खाद के चलते किसानों की कृषि और उद्यानिकी फसलों का उत्पादन जरूर बढ़ गया है, लेकिन इस खेती में जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है. वहीं दूसरी तरफ रसायनिक तरीके से उगाई गई फल और सब्जियां खाकर आम आदमी कई बीमारियों को आमंत्रण भी दे रहे हैं. ऐसे में लखीसराय जिला के हलसी प्रखंड अंतर्गत रघुनंदन बीघा गांव के किसान यमुना महतो परंपरागत खेती को छोड़कर जैविक तरीके से सब्जी की खेती कर रहे हैं. जैविक तरीके से सब्जी उपजाकर अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. खास बात यह है कि प्रगतिशील किसान यमुना महतो जैविक खेती में समय के प्रबंधन का विशेष ध्यान रखते हैं. इसलिए इनके सब्जियों को अच्छी कीमत मिल जाती है.
किसान यमुना महतो ने बताया कि बड़े पैमाने पर रसायनिक खाद के प्रयोग से किसानों ने जमीन की उर्वरा शक्ति और उत्पादन क्षमता को हद तक प्रभावित कर दिया है. अधिक उपज के चक्कर में भरपूर रासायनिक खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका असर यह हो रहा है कि जमीन कठोर होते जा रहा है और उत्पादन क्षमता पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. यह देखकर जैविक तरीके से खेती करने का आइडिया आया. इसके बाद दो बीघा में हरी सब्जी की खेती जैविक तरीके से कर रहे हैं. जैविक तरीके से खेती करने का यह फायदा है कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बरकरार रहता है. उन्होंने बताया कि सब्जी में जिस जैविक दवाई का समय-समय पर छिड़काव करते हैं. उसको खुद से तैयार करते हैं.
सब्जी से सालाना पांच लाख की होती है कमाई
किसान यमुना महतो ने बताया कि फिलहाल दो बीघा में जैविक तरीके से भिंडी की खेती कर रहे हैं. इसमें एक दिन के अंतराल पर भिंडी को खेत से तोड़ा जा रहा है. इसको सीधे बाजार में ले जाकर बिक्री कर देते हैं. उन्होंने बताया कि एक सीजन में भिंडी से हीं 1.50 लाख की कमाई हो जाती है. इसके अलावा परवल और करेला की भी खेती कर रहे हैं. सभी सब्जियों को मिलाकर सालाना 5 लाख की कमाई हो जा रही है. इसी से परिवार का खर्च भी चलता है.
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FIRST PUBLISHED : August 11, 2023, 23:00 IST
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