Monday, May 5, 2025
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धनु और मनु नामक दो भाइयों से जुड़ा हुआ है धनकुंड नाथ महादेव मंदिर का इतिहास

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प्रिंस कुमार/बांका: प्राचीन मंदिरों में से एक है धनकुनंड नाथ महादेव मंदिर है. धार्मिक महत्व के साथ कई गोपनीय राज विद्यमान है, जिसका पता अब तक नहीं लग पाया है. धनकुंडनाथ शिव मंदिर बांका-भागलपुर जिला की सीमा पर धोरैया अवस्थित है और इस मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है.

सावन मास के साथ शिवरात्रि के उपलक्ष्य पर यहां भव्य मेला का आयोजन होता है. माना जाता है कि इस धनकुंड नाथ मंदिर में साक्षात शिव विराजमान हैं. मंदिर के पश्चिम दिशा में लहुरिया ईंट से निर्मित पुरानी मंदिर के अवशेष अब भी मौजूद है, जिसे मुस्लिम शासक के शासनकाल में तोड़ने का प्रयास किया गया था. इससे प्रमाणित होता हैकि यह मंदिर काफी प्राचीन है

धनु-मनु के वंशज बनते हैं मंदिर के पुजारी

मंदिर के पुजारी मटरू बाबा ने बताया कि इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां अब तक ब्राह्नण जाति का कोई पुजारी नहीं हुआ बल्कि सभी धनु-मनु के वंशज राजपूत जाति के पुजारी बनते आए हैं. मंदिर के पुजारी ने बताया कि धनकुंड शिव मंदिर का इतिहास देबैया गांव निवासी धनु और मनु नामक दो भाईयों से जुड़ा हुआ है.

धनु और मनु राजस्थान के जैसलमेर के राजा के सिपाही थे. उन्हें स्थानीय राजा लखन सिंह यहां लेकर आए थे. एक बार दोनों भाई इमली वन में भटक गए थे. इसी दौरान छोटे भाई मनु को बहुत जोर से भूख लगी तो बड़े भाई धनु ने भातृत्व प्रेम के खातिर जंगल में कंद मूल और फल खोजना शुरू किया. इसी दौरान एक पेड़ की जड़ से लिपटा हुआ कंद मूल फल दिखा. धनु ने उसे पाने के लिए प्रहार किया तो उससे रस के बदले खून की धार निकलने लगा. यह देख दोनों भाई वहां से भाग निकले.

धनु के नाम परेश महादेव मंदिर का नाम पड़ा धनकुंड

मंदिर के पुजारी मटरू बाबा ने बताया किईश्वर की महिमा ही कही जा सकती है कि वो दोनों जहां भी जाते कंद वहीं आकर खड़ा हो जाता. अंतत: हारकर दोनों भाई सो गए तो उन्होंने स्वप्न में देखा कि यहां भगवान शिव विराजमान हैं और पूजा करने की बात कह रहे हैं. आंख खुलते ही धनु ने कुंड के करीब खुदाई की तो उस दौरान कंद के भीतर से एक शिवलिंग प्राप्त हुआ.

इसके बाद इस स्थान का नाम धनकुंड पड़ा. शिव मंदिर के दक्षिण में एक शिवगंगा है. यहां धरती से अलग होकर गंगा निवास करती है. इसमें सालो भर जल विद्यमान रहता है. बिहार और झारखंड के लोगों के लिए अपार आस्था का केंद्र है. यहां लाखों श्रद्धालु सावन में जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते हैं.

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