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रुपांशु चौधरी/हजारीबाग. हजारीबाग जिले के सदर प्रखंड के सीठागढ़ी गांव की महिलाएं इन दिनों आस पास के गांवों के एक प्रेरणा स्रोत बनकर उभरी हैं. सीठागढ़ी की ये महिलाएं अपने अपने घरों के एक या दो कमरों में मशरूम की खेती कर रही हैं. जिनसे ये आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही हैं. महिलाओं ने मशरूम को आर्थिक उपार्जन करने का माध्यम बनाया है. इस मशरूम की खेती के लिए इन्हें सिड्बी दिल्ली और अवतार फाउंडेशन के तरफ से ट्रेनिंग, बीज और सहित जरूरत के अन्य सामान नि:शुल्क उपलब्ध कराए गए हैं. बीज लगाने के बाद मशरूम के फसल दिखने लगता है. एक बैग एक बैग लगभग 3 किलो फसल देता है.
अवतार फाउंडेशन के कर्मी आकाश दीप बताते है कि फाउंडेशन के द्वारा 15 महिलाओं के समूह बनाकर हर गांव में ढेंगरी (आयस्टर) मशरूम की खेती करवाने का हमलोग प्रयास कर रहे है. जिससे ग्रामीण क्षेत्र के महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार ही। फाउंडेशन एक किसान के बीज और अन्य अन्य सामानों के ऊपर लगभग 7000 रुपए खर्च करता है. जिसमें तीन बार के खेती के लिए बीज भी शामिल है.
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घर के एक कमरे में होती है मशरूम की खेती
मशरूम की खेती करने वाली सुनीता कच्छप कहती है कि घर के एक कमरे में मशरूम की खेती की थी. जिसमें लगभग 130 किलो मशरूम आया. इससे 20000 से अधिक की आमदनी हुई. मशरूम की खेती करना बिलकुल भी कठिन नहीं है. अगर कोई एक बार ट्रेनिंग ले लेता है तो उसके लिए ये काफी सहज है. मशरूम बेचने में शुरू में थोड़ी समस्या आई, पहले आसपास में हजारीबाग बजार, कोलंबस कॉलेज के सामने, हजारीबाग कचहरी के सामने कोर्रा बाजार यदि जगहों पर जाकर बेचा करती थी. लेकिन जैसे जैसे लोग जानने लगे अब लोग घर आकर मशरूम ले जाते है.उन्होंने कहा कि जो मशरूम बच जाते है उन्हे या तो सुखा देती हूं या उनका आचार, सूप बना लेती हूं. अब खुशी होती है कि घर में आर्थिक रूप से भी सहयोग कर पा रही है. इस महीने बेटे की स्कूल की फीस भी मशरूम की कमाई से दी है.
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FIRST PUBLISHED : July 03, 2023, 12:05 IST
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