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हम आपको बता दें कि कश्मीर का रेपोरा गांव हिमालय श्रृंखला के पहाड़ों की तलहटी पर स्थित है। यहां सिंचाई के लिए पर्याप्त जल भी है और इलाका खुला होने के चलते धूप भी अच्छी आती है जोकि अंगूर की खेती के लिए जरूरी है।
कश्मीर में अब तक सेब के उत्पादन पर ही ज्यादा ध्यान दिया जाता था लेकिन अब अंगूर की खेती पर भी जोर दिया जा रहा है जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। कश्मीर के मध्य गांदरबल जिले का एक गांव पूरी घाटी में अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाले अंगूरों के गढ़ के रूप में उभर कर सामने आया है। अंगूर की गुणवत्ता ऐसी है कि आप भी देखते रह जाएंगे। माना जाता था कि विश्व में अंगूर के सबसे बढ़िया दाने का वजन लगभग छह से सात ग्राम का होता है लेकिन कश्मीर के रेपोरा गांव में जो अंगूर उपजा है उसके एक दाने का वजन दस ग्राम है।
हम आपको बता दें कि कश्मीर का रेपोरा गांव हिमालय श्रृंखला के पहाड़ों की तलहटी पर स्थित है। यहां सिंचाई के लिए पर्याप्त जल भी है और इलाका खुला होने के चलते धूप भी अच्छी आती है जोकि अंगूर की खेती के लिए जरूरी है। रेपोरा गाँव में लगभग 60 हेक्टेयर भूमि पर अंगूर की खेती की जाती है, जिससे 750 से 900 मीट्रिक टन अंगूर की पैदावार होती है। इससे इस क्षेत्र के सैंकड़ों परिवारों को आजीविका मिलती है। इस गांव के अंगूरों को रेपोरा अंगूर के नाम से भी जाना जाता है।
प्रभासाक्षी संवाददाता ने जब इस गांव का दौरा किया तो पाया कि इस साल फसल जल्दी पक गयी है क्योंकि तापमान अधिक था। अमूमन अंगूर की फसल सितंबर के पहले सप्ताह में कटाई के लिए तैयार होती है। एक अंगूर उत्पादक ने प्रभासाक्षी से बातचीत में कहा कि यहां इटली से भी ज्यादा बढ़िया अंगूर होता है। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले यह अंगूर बाजार में मांग के आधार पर 200 रुपये से 300 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बिकते हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के अंगूर उत्पादक कीटनाशकों का उपयोग नहीं करते हैं, जिसके कारण इस क्षेत्र के अंगूर की भारी मांग रहती है। उन्होंने बताया कि अंगूर उत्पादक अब पुरानी तकनीकों की बजाय नई तकनीक उपयोग कर रहे हैं जिससे काम आसान हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि अब हमारा अगला लक्ष्य जैविक अंगूर की खेती करना है।
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