Monday, May 12, 2025
Homeयह राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन नहीं, बिहार का स्कूल है, ये बात आपका...

यह राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन नहीं, बिहार का स्कूल है, ये बात आपका जीत लेगी दिल

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें

[ad_1]

गुलशन सिंह/बक्सर. जिले के चुरामनपुर गांव स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों ने संसाधनों के अभाव में भी बच्चों को बेहतर शिक्षा का माहौल देने और उनमें पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए अनूठी पहल की है. विद्यालय के दो कमरों की दीवारों पर राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन की हूबहू पेंटिंग कराई गई है. जो छात्र-छात्राओं के अलावा अभिभावकों को लुभा रहा है. विद्यालय की दीवारों पर उकेरी गई राजधानी एक्सप्रेस का चित्र न सिर्फ बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता है बल्कि,अद्भुत पेंटिंग क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. यही वजह है कि विद्यालय आने वाले बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ी है.

उच्च माध्यमिक विद्यालय चुरामनपुर में पढ़ने वाले बच्चे ट्रेन की बोगी में बैठने जैसा महसूस करते है. बाहर से देखने पर ऐसा लगता है कि राजधानी एक्सप्रेस किसी स्टेशन पर खड़ी है. वहीं बच्चे भी कक्षा में ट्रेन जैसी खिड़कियों व दरवाजे के सामने उत्साह से कतारबद्ध खड़े होकर फोटो खिंचवाते हैं. प्रधानाचार्य मनीष कुमार पांडेय ने बताया कि शिक्षा के प्रति ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को आकर्षित करने के लिए यह प्रयास किया गया है, जो अब सार्थक साबित हो रहा है. प्रधानाचार्य ने बताया कि इस पेंटिंग को कराने का मकसद यही रहा कि विद्यालय में न केवल छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़े बल्कि बच्चे राजधानी एक्सप्रेस की तरह शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़े. उन्होंने बताया कि राजधानी एक्सप्रेस की पेंटिंग के अलावा कक्षाओं की दीवारों पर भी विज्ञान से जुड़ी चीजों को चित्र के माध्यम से दर्शाया गया है ताकि अच्छे माहौल में बच्चे पढ़ाई कर सके. राजधानी एक्सप्रेस के बहाने गांव की गलियों में उछल-कूद मचाने वाले बच्चों का भी शिक्षा के मंदिर से जुडाव हुआ है.

स्कूल में चाहरदीवारी नहीं रहने से होती है परेशानी
प्रधानाचार्य मनीष कुमार पांडेय ने बताया कि शिक्षक के तौर पर एक शिक्षिका संजू कुमारी और शिक्षक अलाउद्दीन हैं यानि प्रधानाचार्य सहित कुल तीन शिक्षक इस विद्यालय को चला रहे है. विद्यालय सुबह 9.30 बजे से शाम 4 बजे तक संचालित होता है. विद्यालय में शौचालय, पेयजल और नल की व्यवस्था है, लेकिन कमरों की कमी है. यहा प्रिंसिपल ऑफिस और टीचर रूम भी नहीं है. वहीं शिक्षकों का कहना है यहां अधिकतर बच्चियां पढ़ने आती है. ऐसे में विद्यालय का बाउंड्री वाल नहीं होने से असमाजिक तत्वों का खतरा बना रहता है.

.

FIRST PUBLISHED : July 25, 2023, 10:27 IST

[ad_2]

Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments