Saturday, May 10, 2025
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बिहार का यह मंदिर 6 महीने तक रहता है जलमग्न, जानें क्या है इतिहास

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सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिला स्थित साहसराम गांव में एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां पर भगवान शिव साल के 6 महीने तक जल में जलसेन रहते हैं. प्रकृति का ऐसा चमत्कार है कि अपने आप मंदिर के अंदर पानी आ जाता है. यहां प्रतिदिन हजारों लोग पूजा- अर्चना करने आते हैं. जबकि शिवरात्रि या फिर नरक निवारण चतुर्दशी के दिन भक्तों की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा रहता है.

मंदिर के पुजारी राम कृपाल सिंह ने बताया कि बाबा विशेश्वर नाथ का महिमा अपरंपार हैं. यहां पर आने वाले लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है. खासकर वैसे लोग जिनको संतान सुख चाहिए होता है, यदि वे संतान प्राप्ति के लिए सच्चे और श्रद्धा भाव से भोलेनाथ की आराधना करते हैं तो मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है.

बाबा विशेश्वर नाथ साल के छह महीने तक रहते हैं जलमग्न
मंदिर के पुजारी राम कृपाल सिंह ने बताया कि बाबा की महिमा ऐसा है कि साल के 6 महीने जलमग्न ही रहते हैं. एक निश्चित समय आने के बाद अपने आप मंदिर के अंदर जल का भराव हो जाता है. इस पर उन्होंने एक कहानी भी बताया कि लाख कोशिश करने के बाद पानी उरेला नहीं जा सकता है. एक बार ऐसा प्रयास किया गया था, सूखाने के लिए कई घंटों तक पंप सेट भी चलाया गया, परंतु प्रभु की लीला ऐसा रहा की जल का स्तर कम नहीं हुआ.

ऋषि विश्वामित्र ने की थी पूजा अर्चना
मंदिर के इतिहास के बारे में पुजारी और स्थानीय लोगों ने बताया कि जब महर्षि विश्वामित्र श्री रामचंद्र जी के साथ स्वयंवर में जा रहे थे तो यहीं रूककर पूजा-अर्चना की. इसके बाद इस स्थान को सहस्त्रराम कह कर संबोधित किया गया. तब से इस गांव का नाम बोलचाल की भाषा में सहसराम हो गया. मतलब कि त्रेता युग से ही भोलेनाथ यहां विराजमान है और त्रेतायुग से ही इस गांव का नाम है. यहां आस-पास के 20 गांव के लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है.

आपरूपी प्रगट हुए थे भगवान शिवमंदिर के पुजारी राम कृपाल सिंह ने बताया कि पूजा करने का जो समय है वह सुबह 6 बजे सुबह से शाम 7:00 बजे तक है. भोग लगाने के बाद मंदिर का पट बंद हो जाता है. मुख्य पुजारी ने बताया कि मंदिर के नाम पर कुल 24 बीघा जमीन भी है. सीता देवी जो शिव चर्चा का प्रतिनिधित्व करती है और पंचायत संयोजक भी है ने बताया है कि मंदिर का सारा खर्च श्रद्धालु हीं पूरा करते हैं.

मंदिर निर्माण से लेकर मरम्मत तक का कार्य भक्त अपनी स्वेच्छा से करते हैं. उन्होंने बताया कि भगवान शिव यहां आप रूपी प्रगट हुए थे. गांव के ही एक व्यक्ति जो संतान हीन था. वह भोलेनाथ से प्रतिदिन संतान प्राप्ति के लिए गुहार लगाता था. उसके बाद उस व्यक्ति को स्वप्न में शिवजी ने दर्शन दिया था और वहां पर अपने होने का कहानी बताया था. सुबह उठने के बाद उस स्थल पर पहुंचकर जब जमीन से मिट्टी हटाया तो उस स्थान से शिवलिंग निकला. उसके बाद उसे संतान प्राप्ति भी हुई. त्रेता युग से जुड़े इस इतिहास को सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.

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