Tuesday, May 13, 2025
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विकास को तरसता यह गांव…न ही पुल और न नाव, जुगाड़ से दरिया पार कर रहे लोग

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विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. देश में सेमी हाई स्पीड ट्रेन रफ्तार में दौड़ रही है. अब बुलेट ट्रेन का सपना भी साकार हो सकता है. पर आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां सड़क, पुल सहित कई मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं है. पूर्णिया जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर डगरूआ प्रखंड के चापी पंचायत के संभङ्गा गांव के वार्ड नंबर 15 में सदियों से अब तक लोगों को न तो सड़क मिली, न ही पुल. अब तक नाव भी नसीब नहीं हो पाई है. इस गांव के लोगों की बात सुनकर आप विकास को चाह कर भी ढूंढ नहीं पाएंगे.

जुगाड़ नाव के सहारे कटती है जिंदगी

स्थानीय राजकुमार यादव एवं अन्य स्थानीय ग्रामीण कहते हैं कि सदियों से इस गांव के बीचों-बीच पनार नदी के गुजरने के कारण नदी का जलस्तर ज्यादा रहता है. जिस कारण स्थानीय लोगों को अपने ही गांव में एक गांव से दूसरे गांव जाने के लिए जुगाड़ नाव के सहारे जाते हैं. उन्होंने कहा पड़ोसी गांव के दिए हुए ड्रम का नाव को बनाकर और केले के थम से बने नाव बनाकर लोग अपना जीवन गुजारा कर रहे हैं. वही लोगों ने कहा इस गांव में लगभग 1000 से अधिक आबादी है.

नदी पर पुलिया न बनी होने से काफी परेशानी है. यही एकमात्र रास्ता है. जिससे लोग अपना जीविकापार्जन के लिए जाने का यही रास्ता है. अब तक उन लोगों का समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं मिल पाया है. जिस कारण सभी गांव वाले परेशानी उठा रहे हैं.

मदद मिली तो बना लिया जुगाड़ नाव

वहीं ग्रामीण राजकुमार यादव कहते हैं कि हम लोगों के लिए अब तक सरकार और जिला प्रशासन से कोई भी सहयोग नहीं मिल पाया है. उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से जल्द से जल्द गांव के लोगों को सुविधाएं मिल पाए, इसके लिए पुल और नांव की मांग की हैं. महिला महंगी देवी, गीता देवी, रीता देवी सहित सभी लोगों ने कहा लगभग 20 वर्षों से अब तक इस गांव के लोग बेबस जिंदगी जीते आ रहे हैं.

वहीं नदी में नाव और पुल के नहीं होने से गांव वालों को आने जाने में तो परेशानी होती ही है. साथ ही साथ कई बच्चे डूब जाते हैं. उन्होंने कहा नाव या पुल नहीं होने से गांव की गर्भवती महिलाएं एवं आपातकालीन स्थिति में मरीजों को भी इसी ड्रम और केला के थम के बने नाव के सहारे अस्पताल ले जाया करता है.

देरी से पहुंचने पर छात्राओं की पढाई अवरुद्ध

छात्रा रंजू कुमारी, पार्वती कुमारी सहित अन्य छात्राओं ने भी कहा कि वह नांव के इंतजार में घंटों बैठी रहती हूं. जिसके बाद गांव वालों के ही सहारे ड्रम पर नदी पार कर पढ़ाई के लिए जाती हूं. जहां उन्हें अपने गुरुजनों से देर से आने पर डांटे भी पड़ती है. उस गांव के सभी छात्र-छात्राओं ने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन को जल्द से जल्द इस गांव के लोगों के समस्या के समाधान के लिए पुल और नांव की व्यवस्था करनी चाहिए.

Tags: Bihar News, Local18, Purnia news

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