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G20 की एक मीटिंग को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि क्रिप्टो और मेटावर्स से जुड़े रिस्क डायनामाइट के विस्फोट या हवाला के मामलों जितने गंभीर हैं। उनका कहना था कि सिक्योरिटी को लेकर खतरों के प्रकार में बदलाव आया है और यह एक गंभीर चिंता का विषय है। शाह ने कहा, “हमारे सुरक्षा के पुराने खतरों में बदलाव हो रहा है। यह डायनाइट के विस्फोट से मेटावर्स और हवाले से क्रिप्टोकरेंसी में बदल रहे हैं। यह सभी देशों के लिए चिंता का एक विषय है। इससे निपटने के लिए एक साझा स्ट्रैटेजी बनानी होगी।” इस मीटिंग में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास भी शामिल थे।
इस वर्ष के अंत तक क्रिप्टो सेगमेंट के लिए वैश्विक कानूनों को लेकर भारत कुछ प्रगति कर सकता है। पिछले वर्ष के अंत में RBI ने चेतावनी दी थी कि अगला वित्तीय संकट प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज से आएगा। RBI ने क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगाने की मांग की थी। इसका मानना है कि क्रिप्टोकरेंसीज के साथ कोई वैल्यू नहीं जुड़ी और यह मैक्रो इकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरता के लिए रिस्क है। इससे पहले भी RBI की ओर से क्रिप्टो पर बैन लगाने की मांग की जा चुकी है।
RBI ने क्रिप्टोकरेंसीज के बारे में चार वर्ष पहले सर्कुलर जारी कर उसके रेगुलेशंस के तहत आने वाली एंटिटीज पर ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स में डील करने को लेकर रोक लगाई थी। हालांकि, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने RBI के इस सर्कुलर को खारिज कर दिया था। देश में क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर रेगुलेटरी स्थिति स्पष्ट नहीं है। सरकार की ओर से क्रिप्टोकरेंसीज पर तैयार किए जा रहे कंसल्टेशन पेपर के लिए वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से भी इनपुट लिए जा रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसीज में गिरावट से इस सेगमेंट की बहुत सी फर्मों की वित्तीय स्थिति कमजोर हो गई है और उन्हें अपनी कॉस्ट घटाने के लिए छंटनी जैसे उपाय करने पड़े हैं।
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