पाकुड़ में साई होम्यो सेंटर पर डॉक्टरों ने किया पुष्प अर्पण
होम्योपैथी के जनक को समर्पित विश्व होम्योपैथी दिवस
हर वर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती का प्रतीक है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली की उपयोगिता, प्रभावशीलता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को जन-जन तक पहुँचाना है।
सैमुअल हैनीमैन: चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति लाने वाले वैज्ञानिक
क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को मीसेन, सैक्सोनी निर्वाचन क्षेत्र (जर्मनी) में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1779 में डॉक्टर ऑफ मेडिसिन की डिग्री प्राप्त की। चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करते हुए उन्होंने पाया कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में कई कमियाँ हैं, जिसके चलते उन्होंने एक नई चिकित्सा प्रणाली की खोज की, जिसे आज हम होम्योपैथी के नाम से जानते हैं। यह एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है, जो “समान का समान से इलाज” के सिद्धांत पर आधारित है।
होम्योपैथी की विरासत और योगदान
डॉ. हैनीमैन ने अपनी चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से यह सिद्ध किया कि अत्यंत सूक्ष्म मात्रा में दी गई औषधियाँ भी शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ा सकती हैं। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मानवता की सेवा और चिकित्सा के नवाचार को समर्पित कर दी। उनका निधन 2 जुलाई 1843 को पेरिस, फ्रांस में हुआ, लेकिन आज भी उनका योगदान चिकित्सा जगत में अमूल्य माना जाता है।
पाकुड़ में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन
विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर पाकुड़ जिला स्थित साई होम्यो सेंटर में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिले के कई होम्योपैथिक चिकित्सकों ने एकत्र होकर डॉ. सैमुअल हैनीमैन के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
होम्योपैथिक चिकित्सकों की सहभागिता
इस कार्यक्रम में निगार होम्यो के होम्योपैथिक चिकित्सक फारुख हुसैन, डॉ. देवकांत ठाकुर, रवि कुमार, ॐ कुमार, अंकित मांझी और डॉ. कौशर शेक उपस्थित रहे। सभी चिकित्सकों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की और पुष्पांजलि अर्पित कर हैनीमैन के सिद्धांतों को याद किया।
जनजागरूकता और प्रेरणा का दिन
यह दिवस न केवल होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली के प्रति जागरूकता बढ़ाने का अवसर है, बल्कि यह भी प्रेरणा देता है कि किस प्रकार समर्पण और शोध से मानवता की भलाई के लिए एक नई दिशा दी जा सकती है। डॉ. हैनीमैन का जीवन और कार्य आज भी लाखों चिकित्सकों और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
इस प्रकार, विश्व होम्योपैथी दिवस पर डॉ. सैमुअल हैनीमैन को श्रद्धांजलि देकर पाकुड़ जिले के चिकित्सकों ने उनके सिद्धांतों और योगदान को स्मरण किया, और होम्योपैथी चिकित्सा को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया।