पाकुड़। जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के तत्वावधान में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार, शेष नाथ सिंह की अध्यक्षता में मानसिक बीमारी और बौद्धिक दिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के हित में एक दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम झालसा रांची के निर्देशानुसार आयोजित किया गया, जिसमें नवगठित कानून सेवा इकाई (एलएसयूएम) के सदस्यों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
दीप प्रज्वलन से हुआ कार्यक्रम का उद्घाटन
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय सुधांशु कुमार शशि, स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष अशोक कुमार शुक्ला, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम क्रांति कुमार प्रसाद, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शिल्पा मुर्मू और लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के चीफ सुबोध कुमार दफादार ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस मौके पर न्यायपालिका के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, जिन्होंने इस कार्यक्रम के उद्देश्यों और इसकी महत्ता पर प्रकाश डाला।
मानसिक बीमारियों और दिव्यांगता से जुड़े अधिकारों पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह ने कहा कि मानसिक बीमारी और बौद्धिक दिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों को समाज में समान अधिकार और मानवीय स्वतंत्रता प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि इन व्यक्तियों को यौन उत्पीड़न और शोषण से बचाने के लिए सशक्त कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन व्यक्तियों के साथ संवेदनशीलता और समानता का व्यवहार होना चाहिए और उनका शोषण रोकने के लिए कानूनी कार्यवाही भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
एलएसयूएम सदस्यों के प्रशिक्षण पर जोर
कार्यक्रम के तहत नवगठित कानूनी सेवा इकाई (एलएसयूएम) के सदस्यों को यह निर्देश दिया गया कि वे मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों की पहचान करें और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करने में मदद करें। उन्हें संबंधित विभाग, पुलिस प्रशासन और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचना देने की प्रक्रिया से भी अवगत कराया गया। इसके साथ ही, इन व्यक्तियों के साथ संवेदनशील और भेदभाव रहित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई।
न्यायाधीशों और अधिकारियों ने साझा किए विचार
कार्यक्रम में उपस्थित अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक, और प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि मानसिक बीमारी और बौद्धिक दिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए संवेदनशीलता, सहयोग और जागरूकता के साथ काम करना होगा।
अधिकारों की सुरक्षा के लिए निर्देश
प्रशिक्षण में यह भी बताया गया कि मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं और कानूनी उपायों का उपयोग कैसे किया जाए। इन व्यक्तियों के साथ किसी भी प्रकार का शोषण होने पर कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। न्यायपालिका और प्रशासन के समन्वय से इनके हित में ठोस कदम उठाने पर बल दिया गया।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का योगदान
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सचिव अजय कुमार गुड़िया, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक, और नवगठित कानूनी सेवा इकाई के सदस्य समेत अन्य अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई।
संवेदनशीलता और समानता की ओर कदम
यह दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम मानसिक बीमारी और बौद्धिक दिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के हित में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह कार्यक्रम न केवल न्यायपालिका और प्रशासन के बीच समन्वय बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि समाज में समानता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे संबंधित सभी व्यक्तियों को उनके अधिकार दिलाने और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने में सहायता मिलेगी।