Sunday, January 19, 2025
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मोक्ष के लिए मानसून का इंतजार: सूख गयी नदी तो विसर्जित नहीं हुई अस्थियां, रेत के अंदर दबी कर रही हैं मानसून का इंतजार

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25 मिनट पहले

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सूख गयी नदियां

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अगर मरने के बाद भी मोक्ष के लिए पानी का इंतजार करना पड़े तो ? झारखंड के मेदिनीनगर में दाह संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन के लिए 148 शवों को नदी में दोबारा पानी लौट आने का इंतजार है।

झारखंड में मानसून ने भले ही दस्तक दे दी है लेकिन नदी में पानी भरने के लिए अभी इंतजार करना होगा। इस बार राज्य में गर्मी ऐसी पड़ी की कई नदियां सूख गयी। वैसे झरने भी सूख गये जिनमें सालों भर पानी भरा रहता था।दाह संस्कार के बाद मोक्ष के लिए इन शवों को भी नदी में पानी लौट आने का इंतजार करना पड़ रहा है।

दाह संस्कार के बाद बचे राख

दाह संस्कार के बाद बचे राख

मरने के बाद भी नसीब नहीं है पानी
मेदिनीनगर (डाल्टनगंज) में कोयल नदी के सूख जाने से लोगों के अंतिम संस्कार करने में समस्या होने लगी है। परिजनों की मौत के बाद नदी में पानी ना होने की वजह से विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने में समस्या आ रही है। कोयल तट पर पहाड़ी मुहल्ला में स्थित राजा हरिश्चंद्र श्मशान घाट में लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भी पानी नसीब नहीं हो रहा है।

नदी में गड्ढा खोदकर पूरे किए जा रहे हैं नियम

नदी में गड्ढा खोदकर पूरे किए जा रहे हैं नियम

सूख गयी कोयल नदी, रेत के अंदर दबा दी गयीं अस्थियां
मेदिनीनगर में सूख चुकी कोयल नदी की रेत में 48 अस्थि कलश दफनाए गए हैं। इन अस्थियों को मानसून की बारिश का इंतजार है ताकि उनको मोक्ष मिल सके। कोयल नदी इस वर्ष अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में ही सूख गई थी। नदी किनारे स्थित पहाड़ी मुहल्ला श्मशान घाट में अप्रैल से अब तक 48 शवों का दाह संस्कार किया गया लेकिन अस्थियां नहीं बहाई जा सकी। दाह संस्कार के बाद बची चिता की राख को भी इकट्ठा कर रखा गया है ताकि बारिश के बाद उन्हें बहाया जा सके। मार्च के अंतिम सप्ताह से जून के दूसरे सप्ताह तक 148 शवों का अंतिम संस्कार पहाड़ी मुहल्ला स्थित श्मशान घाट पर हुआ। मरने के बाद भी मोक्ष के लिए सभी बारिश के इंतजार में हैं।

दाह संस्कार के बाद बचे अवशेष

दाह संस्कार के बाद बचे अवशेष

सूख गयी कोयल नदी, रेत के अंदर दबा दी गयीं अस्थियां
मेदिनीनगर में सूख चुकी कोयल नदी की रेत में 48 अस्थि कलश दफनाए गए हैं। इन अस्थियों को मानसून की बारिश का इंतजार है ताकि उनको मोक्ष मिल सके। कोयल नदी इस वर्ष अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में ही सूख गई थी। नदी किनारे स्थित पहाड़ी मुहल्ला श्मशान घाट में अप्रैल से अब तक 48 शवों का दाह संस्कार किया गया लेकिन अस्थियां नहीं बहाई जा सकी। दाह संस्कार के बाद बची चिता की राख को भी इकट्ठा कर रखा गया है ताकि बारिश के बाद उन्हें बहाया जा सके। मार्च के अंतिम सप्ताह से जून के दूसरे सप्ताह तक 148 शवों का अंतिम संस्कार पहाड़ी मुहल्ला स्थित श्मशान घाट पर हुआ। मरने के बाद भी मोक्ष के लिए सभी बारिश के इंतजार में हैं।

मानसून के इंतजार में जमीन के अंदर दबी हैं अस्थियां

मानसून के इंतजार में जमीन के अंदर दबी हैं अस्थियां

झारखंड में सूख गयी हैं 44 नदियां
इस बार सिर्फ झारखंड में ही नहीं बिहार, यूपी और उत्तराखंड की तकरीबन 175 नदियां सूख गई। झारखंड में 44 नदियां सूखी हैं। झारखंड में 4 जलप्रपात दशम, हुंडरू, सीता और जोन्हा भी सूख गयी हैं। इन जलप्रपात में सालभर पानी रहता था। ये झरने मार्च में ही सूख गये। झारखंड में नदियों की स्थिति गंभीर है।

पलामू में सूख जाती हैं 30 नदियां
पलामू प्रमंडल के तीन जिलों पलामू, गढ़वा और लातेहार में 30 नदियां बहती हैं। 26 मार्च आते-आते ही नदियों में पानी खत्म होने लगता है। मई के महीने में सभी 30 नदियां पूरी तरह सूख जाती हैं। दक्षिण छोटानगपुर के गुमला जिले की 13 नदियाों की हालत भी यही है। शंख, उत्तरी कोयल, पारस, नागफेनी जैसी प्रमुख नदियों में मार्च के बाद रेत नजर आथा है। खूंटी जिले की सभी 3 नदियां सूख जाती हैं।

क्यों सूख रही हैं नदियां ?
सवाल है झारखंड में नदियों की यह स्थिति हुई कैसे ? जवाब मानसून के आंकड़े में छिपा है। पिछले 10 वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि किसी भी साल सामान्य बारिश नहीं हुई। हर साल सामान्य से कम बारिश दर्ज की गयी। साल 2013 से सामान्य बारिश के आंकड़े को पांच-पांच के अंतराल के बाद कम किया जाता रहा इसके बावजूद भी सामान्य से भी कम हो रहे आंकड़े को मानसून नहीं छू सका।

आंकड़ों में समझें नदियों के सूखने की वजह
2013 में 1091.9 बारिश का अनुमान हुई 844.9 मिलीमीटर बारिश
2014 में 930.3
2015 में 951.9
2016 में 1101.6 ( अच्छी बारिश रही )
2017 में 988.1मिलीमीटर बारिश
राज्य में सामान्य बारिश का अनुमान कम कर 1055.7 मिलीमीटर कर दिया गया।
2018 में सिर्फ 785 मिलीमीटर बारिश
2019 में 858.9,
2020 में 902.4
2021 में 1041.5 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई।
पांच साल के बाद राज्य में सामान्य बारिश का अनुमान और कम कर 1022.9 मिलीमीटर दिया गया।
2022 में सिर्फ 817.6 मिलीमीटर बारिश हुई।
2023 में सामान्य बारिश का अनुमान है।

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