Wednesday, March 12, 2025
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भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा POSH एक्ट 2013 पर वेबिनार का आयोजन

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पाकुड़। भारतीय खेल प्राधिकरण ने POSH एक्ट 2013 (यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम) के महत्व और इसके अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया। यह कार्यक्रम सूचना भवन स्थित सभागार में आयोजित किया गया, जिसमें खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों ने भाग लिया। वेबिनार का उद्देश्य कार्यस्थल को सुरक्षित और लिंग संवेदनशील बनाना था, ताकि सभी खिलाड़ी और प्रशिक्षक बेहतर और सुरक्षित माहौल में अपने दायित्व निभा सकें।

सचिव और महानिदेशक ने किया संबोधित

वेबिनार को खेल सचिव सुजात चतुर्वेदी और भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक ने संबोधित किया। दोनों ने POSH एक्ट 2013 के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करना सभी की जिम्मेदारी है। प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों को इस कानून की आवश्यकता, इसके दायरे और कार्यान्वयन प्रक्रिया से अवगत कराया गया।

POSH एक्ट की विशेषताओं पर प्रकाश

कार्यक्रम में POSH एक्ट 2013 की महत्वपूर्ण धाराओं पर चर्चा की गई। खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को इस कानून के तहत महिलाओं को दी गई सुरक्षा, शिकायत की प्रक्रिया, और शिकायत निवारण तंत्र के बारे में बताया गया। वेबिनार का जोर इस बात पर रहा कि खेल जैसे प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र में लैंगिक समानता और सुरक्षा का वातावरण तैयार किया जाए।

अधिकारियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में जिला क्रीड़ा पदाधिकारी राहुल कुमार और जिला शिक्षा पदाधिकारी अनीता पुरती भी उपस्थित थे। उन्होंने खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए जागरूकता और सख्त कदम उठाना आवश्यक है।

सुरक्षित माहौल के लिए प्रतिबद्धता

वेबिनार में उपस्थित सभी खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों ने POSH एक्ट की गहन जानकारी प्राप्त की और इसके अनुपालन की प्रतिबद्धता जताई। भारतीय खेल प्राधिकरण ने यह सुनिश्चित किया कि खेल क्षेत्र में लिंग भेदभाव और उत्पीड़न से मुक्त वातावरण तैयार हो, जिससे महिलाओं को अपने कौशल और प्रतिभा को निखारने का अवसर मिले।

यह वेबिनार महिलाओं की सुरक्षा और लैंगिक समानता की दिशा में एक सकारात्मक कदम था। भारतीय खेल प्राधिकरण का यह प्रयास न केवल खिलाड़ियों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायक पहल है। इस कार्यक्रम ने कार्यस्थल पर सुरक्षा और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए सभी संबंधित पक्षों को जागरूक और सशक्त किया।

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