[ad_1]
शशिकांत ओझा/ पलामू. झारखंड राज्य के पलामू जिले में बनने वाला कलाकंद प्रसिद्ध मिठाई है. स्वाद ऐसा खाने के बाद दीवाने हो जाते है लोग. इसी कारण से इस मिठाई को खाने दूर-दूर से लोग आते हैं. इसके स्वाद का जादू ही कह सकते है कि इसकी मांग मंत्री से लेकर सेलिब्रिटी के साथ विदेशों में भी है. रांची रोड स्थित सतबरवा प्रखंड के तुमागाड़ा स्थित राजा हर्ष मिठाई दुकान में कलाकंद बनता है. ये दुकान 50 साल पुरानी है. हर दिन सुबह होते ही कलाकंद बनना शुरू हो जाता है. एक दिन में 1 क्विंटल से भी अधिक दूध की यहां मिठाई बनती है.
50 वर्ष से पुरानी इस दुकान की शुरुआत किसून साव ने की. तबसे अबतक उसी स्वाद के साथ इस मिठाई को बनाई जा रहा है. 50 वर्ष पूर्व इस मिठाई को कोई नहीं बनाता था. शहर में बनता था मगर उसे पनीर और खोवा से बनाया जाता था. उस समय दूध से बनाना मैंने शुरू किया. इस मिठाई को लोगों ने काफी पसंद किया. आज भी विदेश से लोग आकर इस मिठाई को ले जाते है. आस पास के गांव से दूध लाकर कलाकंद बनाया जाता है. इस मिठाई की बिक्री 400 रूपये प्रति किलो के दर से की जाती है.
क्या है खासियत
कलाकंद मिठाई भैंस के शुद्ध दूध से बनाया जाता है. इसमें किसी प्रकार का कोई अनाज का प्रयोग नहीं होता. सात किलो दूध में 150 ग्राम चीनी मिलाकर बनाया जाता है. 45 मिनट तक इस दूध को घांटने के बाद स्वाद के शुद्धता के साथ कलाकंद तैयार होता है. हर दिन 50 किलो तक मिठाई की बिक्री हो जाती है. कलाकंद के अलावा जलेबी, सेव, निमकी, लड्डू भी दुकान में मिलता है. हर रोज सुबह कचोड़ी, जलेबी लेने लोग आते है.
विदेशों में हैं इस कलाकंद की मांग
इस कलाकंद की मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. किसुन साव ने बताया की विदेश से भी लोग इस कलाकंद की मांग करते है. वहां रह रहे लोग अपने रिश्तेदारों से कलाकंद मंगाते हैं. रास्ते से गुजरने वाले अधिकांश लोग यहां ठहरकर मिठाई जरूर लेते है. वहीं अपने घर लौटने पर उस दुकान में पहुंचकर कलाकंद का लुत्फ उठाते हैं. झारखंड के पेयजल और स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर इस कलाकंद के स्वाद की तारीफ करते है.
क्या कहते है लोग
छतरपुर निवासी ललन प्रजापति ने लोकल 18 बताया कि डाल्टनगंज से 35 किमी दूरी तय कर इस कलाकंद को लेने यहां आते है. इस दुकान का कलाकंद बहुत स्वादिष्ट लगता है. अपने बच्चों के साथ अपने मित्रों के लिए भी खरीदकर ले जाते है. उन्होंने बताया की झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर के लिए एक बार यहां के कलाकंद लेकर गए थे. उसेक बाद से ही वो इसके दीवाने हो गए है. जब भी रांची जाते है तो उनके लिए यहां से कलाकंद जरूर ले जाते है. उन्होंने यह भी कहा की जब भी इस रास्ते से गुजरते है तो इस मिठाई को लेते जरूर है.
क्या कहते हैं संचालक
होटल के संचालक किसुन साव ने लोकल 18 को बताया की 50 वर्ष पूर्व अपने हाथ से उन्होंने कलाकंद दूध से बनाना शुरू किया .तब से अब तक लोगों को इस मिठाई के स्वाद पर विश्वास है. उन्होंने खास बात बताया की कलाकंद को बनाते समय थोड़ा सा फिटकिरी का इस्तेमाल करते है. जिससे कलाकंद में जादुई स्वाद आ जाता है. आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों से भैंस का दूध लाकर सुबह से ही कलाकंद बनाना शुरू कर देते है. 50 साल से अपने बलबूते होटल का संचालन कर रहे हैं.
.
Tags: Food 18, Hindi news, Local18
FIRST PUBLISHED : July 12, 2023, 19:59 IST
[ad_2]
Source link