देवघर. सावन का महीना चल रहा है. इसे भोले नाथ का महीना माना जाता है. सावन की दूसरी सोमवारी के दिन अमावस्या है. सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है. देवघर के ज्योतिषाचार्य का कहना है कि सावन माह की सोमवती अमावस्या 17 जुलाई को है. इस दिन श्रावण माह का दूसरा सावन सोमवार भी है. अमावस्या और सोमवार दोनों ही दिन शिव पूजा के लिए खास माना जाता है . ऐसे में इस दिन साधक को दोगुना फल प्राप्त होगा . इस दिन स्नान दान का ज्यादा महत्व होता है. इस दिन पूजा करने से भगवान भोले नाथ, माता पार्वती के साथ-साथ विष्णु जी का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुदगल में लोकल 18 को बताया कि इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होगी. यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो सोमवती अमावस्या के दिन पितृ पूजन करने या पिंड दान करने से दोष दूर हो जाता है. पितरों के आशीर्वाद से सुखमय जीवन व्यतीत होता है.
पितृ दोष से कैसे मिलेगी मुक्ति ?
सोमवती अमावस्या को पितरों को जल से तर्पण देने से पितृ दोष शांत होता है. देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुदगल ने बताया कि कि अगर पुत्र की प्राप्ति में देरी हो रही है. समझ जाएं कि कुंडली में पितृ दोष है. तो पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे सरल उपाय सोमवती अमावस्या के दिन पितृ पूजा करें.
सोमवती अमावस्या की पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लें और पूजा करने तक मौन धारण कर लें. जब तक की पूजा समाप्त ना हो जाए अब तक किसी से भी बातचीत नहीं करनी है. इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की भी पूजा की जाती है. इस दिन सोमवार पड़ रहा है तो शिव पर जलाभिषेक करने से दोगुना फल की प्राप्ति होगी.
कब है पूजा का शुभ मुहूर्त
सोमवती अमावस्या की शुरुआत 16 जुलाई को रात 10 बजकर 56 मिनट से हो रहा है. और समाप्ति अगले दिन 17 जुलाई रात 11 बजकर 55 मिनट में होगी. वहीं स्नान दान का शुभ मुहूर्त 17 जुलाई को सुबह 5 बजकर 28 मिनट से लेकर 7 बजकर 25 मिनट तक का है. इस समय सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. जो रुद्राभिषेक या जलाभिषेक करने का उत्तम समय माना जाता है.
Source link