देवघर. 12 ज्योतिर्लिंगों में शुमार बाबा बैद्यनाथ पर सावन के महीने में जल चढ़ाने के लिए लाखों भक्त कांवड़ लेकर देवघर पहुंच रहे हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालु ‘बोलबम’ का उद्घोष करते हैं. धार्मिक शास्त्र के अनुसार बोलबम चार अक्षरों का छोटा शब्द है. किन्तु इसे बड़ा अध्यात्मिक मंत्र माना जाता है. बम शब्द ब्रह्मा, विष्णु, महेश एवं ओमकार का प्रतीक माना गया है. इसलिए कोई भी कठिन यात्रा बोलबम के नारे से सुखद रहती है. ये बातें देवघर के प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने कहीं.
श्रीनाथ पंडित ने बताया कि सिर्फ सावन के महीने में नहीं, बल्कि पूरे साल जब भी श्रद्धालु देवघर बाबाधाम पहुंचते हैं वे बोल बम के नारे लगाते हैं. बम शब्द ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना गया है. बोलबम एक सिद्ध मंत्र है. वहीं बोलबम बोलने से श्रद्धालु के शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है. बोलबम के बोलने से भक्त को अदृश्य शक्तियां मिलती हैं. प्रभु की विशेष कृपा बरसती है. इससे मीलों का सफर तय करने में कांवड़ियों को आसानी होती है और अपने कष्ट भूलकर निरंतर भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं.
शिव पूजा में शंख है वर्जित
धार्मिक जानकारों के अनुसार, शिवपुराण में यह उल्लेख है कि शंखचूर नामक असुर था, जो अपने बल के मद में तीनों लोक का स्वामी बन बैठा और साधु-संत को परेशान करने लगा. तभी भगवान शिव ने इस शंखचूर नामक असुर का वध किया था. शंखचूर की हड्डियों से ही शंख बना होता है. इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है. वहीं तीर्थपुरोहित बताते हैं कि भगवान शिव की पूजा में गाल बजाने की परंपरा है. इससे भगवान शिव काफी प्रसन्न होते हैं.
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