पाकुड़। सदर अस्पताल में भर्ती डेढ़ साल के मासूम बच्चे और मजलाडीह की 9 वर्षीय बच्ची को तत्काल रक्त की आवश्यकता थी। डॉक्टरों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत ब्लड चढ़ाने की सलाह दी। बच्चे को बी पॉजिटिव और बच्ची को ए पॉजिटिव ब्लड की जरूरत थी, जिसे पाने के लिए परिवार ने काफी कोशिशें कीं। हालांकि, वे अपने प्रयासों में सफल नहीं हो पाए और समय तेजी से निकल रहा था।
परिवार वालों की यह चिंता देखकर किसी ने इंसानियत फाउंडेशन का सुझाव दिया। परिवार ने बिना देरी किए इंसानियत फाउंडेशन से संपर्क किया और मदद की गुहार लगाई। फाउंडेशन के सचिव, बानिज शेख, ने तुरंत हरकत में आते हुए रक्तदाताओं की व्यवस्था करने का बीड़ा उठाया।
रक्तदान के इस महादान में पाकुड़ के 24 वर्षीय रमन सिंह और ईशाकपुर के नबाब नामक युवक ने आगे आकर सहायता की। दोनों ने बारी-बारी से पाकुड़ ब्लड बैंक में रक्तदान किया, जिससे दोनों बच्चों का इलाज संभव हो पाया।
रमन सिंह और नबाब ने अपनी इस नेक कार्य के बाद खुशी जाहिर की और आगे भी रक्तदान करते रहने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, “रक्तदान करके हमें आत्मिक संतोष मिला है। हम जानते हैं कि इस छोटे से योगदान से किसी की जान बचाई जा सकती है, इसलिए हम भविष्य में भी रक्तदान करते रहेंगे।”
रक्तदान के समय इंसानियत फाउंडेशन के सचिव बानिज शेख, नबाब शेख, और ब्लड बैंक के कर्मचारी नवीन कुमार एवं पियूष दास मौजूद थे। सभी ने मिलकर इस कार्य को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से अपील की कि वे भी समय-समय पर रक्तदान करें, ताकि जरुरतमंदों को समय पर रक्त उपलब्ध हो सके और उनकी जान बचाई जा सके।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इंसानियत और सहयोग की भावना से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है। इंसानियत फाउंडेशन के सचिव बानिज शेख ने कहा कि वे इस तरह के नेक कार्यों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और जरूरतमंदों की मदद के लिए तत्पर हैं। उन्होंने रक्तदान के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “रक्तदान न केवल जरूरतमंदों की जान बचाता है, बल्कि यह रक्तदाता के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।”
रमन सिंह और नबाब जैसे युवाओं की इस पहल से अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी और वे भी इस महादान में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
इस पूरे प्रकरण में इंसानियत फाउंडेशन का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसने न सिर्फ रक्तदाताओं की व्यवस्था की, बल्कि समय पर रक्तदान को सुनिश्चित किया, जिससे दोनों बच्चों की जान बचाई जा सकी। इस तरह के कार्यों से ही समाज में सकारात्मक बदलाव संभव हो पाता है, और जरूरतमंदों को जीने की एक नई उम्मीद मिलती है।