रांची के एक अस्पताल में रविवार की सुबह उस महिला ने दम तोड़ दिया, जिसको कथित तौर पर दुष्कर्म का विरोध करने पर पिछले महीने आग के हवाले कर दिया गया था।
सत्तर फीसदी तक जल चुकी थी महिला
हजारीबाग में सात जनवरी की रात दुष्कर्म के प्रयास का विरोध करने पर चार लोगों ने कथित तौर पर महिला (23 वर्षीय) पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी थी और इन हमलावरों में तीन उसके रिश्तेदार थे। महिला लगभग 70 फीसदी जल चुकी थी। उसका रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में इलाज चल रहा था। हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक (एसपी) मनोज रतन चोठे ने पुष्टि की कि महिला की रविवार सुबह रिम्स में मौत हो गई।
मामले में अब तक नहीं हुई कोई गिरफ्तारी
हजारीबाग पुलिस ने मामले की गहन जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। एसपी ने कहा कि जांच जारी है और आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। प्राथमिकी में नामजद आरोपियों के अलावा, हम घटना में पीड़िता के पति की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं। महिला और उसके पति द्वारा दिए गए बयानों में अंतर है।
चार आरोपियों में तीन रिश्तेदार भी शामिल
एसपी ने कहा, ‘महिला ने पुलिस को बताया था कि मदद के लिए चिल्लाने पर पड़ोसियों ने उसे बचाया, जबकि पति ने दावा किया कि उसने उसे बचाया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पति पहले से शादीशुदा था और पीड़िता उसकी चौथी पत्नी थी। पुलिस ने महिला के दुष्कर्म के प्रयास के आरोप पर भी संदेह जताया था, क्योंकि अपराध में कथित रूप से शामिल चार आरोपियों में से एक महिला है और वह पीड़िता की भाभी है। भाभी के बेटे भी कथित तौर पर अपराध में शामिल हैं।
आरोपियों के खिलाफ नहीं मिला कोई सबूत: पुलिस
मामले की जांच कर रहे अनुमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) अनुज उरांव ने बताया, पीड़िता द्वारा प्राथमिकी में लगाए गए आरोप हमारी प्रारंभिक जांच से मेल नहीं खाते हैं। हमें अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। उन्होंने कहा, हम किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच, पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने मांग की है कि पुलिस आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करे।