पाकुड़। जदयू के जिला प्रवक्ता सह जिला अध्यक्ष प्रतिनिधि अमन कुमार भगत ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को जो पास हुआ उसे स्वागत योग्य बताया है। साथ ही वे कहते है की यह एक चुनावी ढकोसला है और उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ एक चुनावी स्टंट है और कुछ नहीं।
उन्होंने कहा की केंद्र की मोदी सरकार 2014 से अब तक स्पष्ट बहुमत से सरकार में है। तो इस बिल को लाने में इतना देर क्यों हुआ? 2019 के चुनाव में भी पुलवामा हमले को राजनीतिक रूप देकर वापस सरकार में आई। अगर सरकार की यह मनसा साफ होती तो इतना देर क्यों ? इस बिल को जमीन पे उतारने के लिए लगभग 2029 लग जाएगा क्योंकि इस बिल में साफ कहा गया है कि यह कानून जनगणना और नए परिसीमन के बाद ही लागू किया जाएगा और नए परिसीमन 2026 में ही प्रस्तावित है। बहुत ही स्पष्ट है कि यह कानून 2024 के चुनाव में लागू नहीं हो पाएगा। इसलिए यह एक चुनावी जुमला है और कुछ नही।
अमन कुमार भगत कहते है की जहां तक हमारी पार्टी की बात है तो हमारी पार्टी शुरू से ही इसकी पक्षधर रही है। हमारा मानना है कि संसद में महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछडे और अतिपिछड़े वर्ग की महिलायों के लिए भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिए। हमारे सर्वमान्य नेता बिहार सरकार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ही इस बदलाव के सूत्रधार है। उन्होंने ही सबसे पहले सरकारी नौकरियों में महिला के लिए आरक्षण का प्रावधान किया और उसी के तहत संपूर्ण बिहार में महिलाओं के लिए पंचायत और शहरी निकाय में 50% प्राथमिक शिक्षक नियोजन में 50% सब इंस्पेक्टर एवं कांस्टेबल नियुक्ति में 35% का आरक्षण दिया। इसलिए इस बदलाव के सूत्रधार नीतीश कुमार की जी हैं और ये बिल स्वागत योग्य है। परंतु सिर्फ और सिर्फ यह एक जुमला की तरह लगता है और कुछ नही। सरकार के पास जनता से जुड़े हुई मुद्दे के बारे सोचने के लिए समय ही नही है। इसलिए इस प्रकार का बिल लाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।