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कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक कक्कड़ की 18 सदस्यीय अंतरिम कैबिनेट ने गुरुवार को शपथ ली, जिसमें टेक्नोक्रेट और कई परिचित चेहरे शामिल थे। रिपोर्टों में कहा गया है कि शमशाद अख्तर को वित्त मंत्रालय दिया जाएगा, सरफराज बुगती आंतरिक मंत्री होंगे, मुहम्मद अली ऊर्जा मंत्री होंगे, अनीक अहमद धार्मिक मामलों के मंत्री होंगे जबकि जलील अब्बास जिलानी विदेश मंत्री होंगे।
जेल में बंद अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अनवारुल हक कक्कड़ की कार्यवाहक कैबिनेट का हिस्सा होंगी। मुशाल हुसैन मलिक पाकिस्तान के कार्यवाहक मंत्रिमंडल में मानवाधिकार पर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक होंगी। जीईओ न्यूज ने गुरुवार को बताया कि पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री ने नवंबर की शुरुआत में होने वाले राष्ट्रीय चुनावों से पहले एक नई कैबिनेट नियुक्त की है।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक कक्कड़ की 18 सदस्यीय अंतरिम कैबिनेट ने गुरुवार को शपथ ली, जिसमें टेक्नोक्रेट और कई परिचित चेहरे शामिल थे। रिपोर्टों में कहा गया है कि शमशाद अख्तर को वित्त मंत्रालय दिया जाएगा, सरफराज बुगती आंतरिक मंत्री होंगे, मुहम्मद अली ऊर्जा मंत्री होंगे, अनीक अहमद धार्मिक मामलों के मंत्री होंगे जबकि जलील अब्बास जिलानी विदेश मंत्री होंगे। सूत्रों ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ उमर सैफ और पत्रकार मुर्तजा सोलांगी कार्यवाहक कैबिनेट में जोड़े गए नामों में से हैं। उन्हें क्रमशः आईटी और सूचना मंत्रालय दिए जाएंगे।
कौन है मुशाल हुसैन?
यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। उनके पिता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री थे। जबकि मां पाकिस्तान मुस्लिम लीग की महिला इकाई की पूर्व महासचिव रह चुकी है। मुशाल के भाआ हैदर अली मलिक विदेश नीति के विद्वान और अमेरिका में प्रोफेसर है।
उम्र कैद की सजा काट रहा यासीन
जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का प्रमुख यासीन मलिकवर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बहन और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का 8 दिसंबर, 1989 को जेकेएलएफ के आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था। टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा यासीन मलिक अन्य लोगों के साथ इस मामले में आरोपी है। हाल ही में जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख यासीन मलिक की व्यक्तिगत उपस्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया गया तो उन्हें अदालत में क्यों लाया गया।
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