महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया की पुण्यतिथि मनाई गई

झारखण्डमहाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया की पुण्यतिथि मनाई गई
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पाकुड़ । श्री गुरुदेव कोचिंग सेंटर पाकुड़ परिसर मे महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया का पुण्यतिथि मनाया गया।

उक्त अवसर पर श्री सरस्वती स्मृति पाकुड़ के अध्यक्ष भागीरथ तिवारी उनके छाया चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप का नाम इतिहास के पन्नों में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ़ प्रण के लिए अमर है। उन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता मृत्युपर्यन्त स्वीकार नहीं किया।

मेवाड़ के महराजा पिता महाराणा उदय सिंह, महारानी जयवंता बाई का आशीर्वाद से उनका जन्म कुंभलगढ़ पाली के दुर्ग राज महलों में 9 मई 1540 स्कूल में हुआ। आचार्य आदरणीय राघवेन्द्र के सानिध्य में शिक्षा -दीक्षा, युद्धकला कौशल को सीखा, वे छापामार युद्ध प्रणाली के सफल योद्धा थे। महाराणा प्रताप युद्ध में अकबर से अंत तक कभी नहीं हारे। सबसे विराट युद्ध हल्दीघाटी में हुआ, जहां महाराणा प्रताप की जीत हुई। करीब 9 वर्षों तक अकबर पूरी शक्ति से युद्ध करते रहे, लेकिन अकबर को हार का ही सामना करना पड़ा। अंत में वह मेवार की ओर देखना ही छोड़ दिया।

उक्त सेंटर के निदेशक रामरंजन कुमार सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ मानसिक व शारीरिक क्षमता के अद्वितीय थे। उनका शारीरिक गठन काबिले तारीफ था। उनकी लंबाई 7 फीट, वजन 110 किलोग्राम, वे 72 किलो के छाती कवच, 80 किलो के भाले, 208 किलो की दो वजनदार तलवारों को लेकर चलते थे। महाराणा प्रताप के जीवन में युद्ध के दौरान एक ऐसा समय आया कि उन्हें जंगलों में रहना पड़ा, घास की रोटी खानी पड़ी, अकबर को संधि के लिए पत्र लिखने पर विवश होना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी भी अकबर की आधीनता एवं संधि स्वीकार नहीं की।

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के महाराणा प्रताप का समर्थन करने वाले घुड़सवारों और धनुर्धरों और मुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच लड़ा गया था। जिसका नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह ने किया। इस युद्ध में भी मीणा जनजाति के लोग ने महाराणा प्रताप का भरपूर सहयोग किया। जिसके कारण हल्दीघाटी के युद्ध में भी अकबर को मुंह की खानी पड़ी। उनकी मृत्यु उदयपुर के चाव़ड में 19 जनवरी 1597 ई० में हुई। आज उनकी पुण्य तिथि है। महाराणा प्रताप के शौर्य व पराक्रम की गाथा इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से अंकित है। जब तक सूरज-चाँद रहेगा उनकी शौर्य वीरता का बखान सदियों तक चलता रहेगा।

महराणा प्रताप के पुण्यतिथि के अवसर पर डॉ. मनोहर कुमार, योगाचार्य संजय शुक्ला ने भी अपने विचार रखे। भागीरथ तिवारी, प्राचार्य दिलीप घोष, शिक्षक मिथिलेश त्रिवेदी, अर्जुन मंडल, सीमा कुमारी, एलिजा हाँसदा, गौतम मिश्रा सहित सेन्टर के छात्र-छात्रा उपस्थित थे।

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