पाकुड़ खनन विभाग का चमत्कार…

झारखण्डपाकुड़ खनन विभाग का चमत्कार...
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पाकुड़ । पाकुड़ खनन विभाग का चमत्कार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। पाकुड़ की जनता को आशा थी कि ईडी की जाँच पाकुड़ के खनन विभाग एवं खनन माफियाओं पर होने वाला है। ऐसा नहीं होने पर खनन माफियाओं का मनोबल दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही विभाग के अधिकारियों का भी मन बढ़ा है। जबकि प्रतिदिन ईडी के जाँच में भ्रष्टाचार से लिप्त में कई पदाधिकारी एवं व्यसायी पकड़े जा रहे हैं। परंतु पाकुड़ खनन विभाग का भय खनन माफियाओं पर दिखाई नहीं देता है।

ईडी की जाँच का मुखौटा बनाकर मई 2022 से ही खनन विभाग नया खनन पट्टा तथा डीलर लाइसेंस देना बंद कर दिया है। यदि किसी को पट्टा निर्गत किया भी गया है तो वह या तो बहुत बड़ा पत्थर खनन माफिया है या फिर उसके ऊपर खनन विभाग की कृपा है।

ज्ञात हो कि पाकुड़ पत्थर रेलवे साइडिंग से प्रतिदिन कई रेक पत्थर भारत से अन्य राज्यों एवं भारत से बाहर बांग्लादेश भेजा जाता है। जिसमें रेलवे को चालान जमा करना पड़ता है। पिछले वर्ष पत्रकारों के द्वारा लिखे जाने के बाद खनन विभाग दिखावे के नाम पर पाकुड़ रेलवे माल गोदाम में छापेमारी की। जिससे करोड़ों के पत्थर माइनिंग चालान के फर्जीवाड़े का पता चला। जिस रेक से पत्थर जाता है, रेलवे के उस रेक में 40 से 60 बोगी (बक्सा) होते हैं। आश्चय की बात है कि बिना माइनिंग रॉयल्टी जमा किए ही पाकुड़ का पत्थर, रेलवे पदाधिकारियों के साठगाठ से बाहर भेजा जा रहा था। जिसमें करोड़ों का घोटाला हुआ। कुछ लोगों पर माइनिंग विभाग के द्वारा मुकदमा भी किया गया लेकिन हुआ कुछ नहीं।

खनन विभाग के द्वारा रेलवे साइडिंग पर मई-जून 2022 सीटीओ एवं डीलर लाइसेंस के अभाव में मुकदमा दर्ज किया गया। परिणाम स्वरूप वर्त्तमान में व्यापारियों का कार्य बंद है। अब कर्सर मालिक खनन विभाग से डीलर लाइसेंस बनाना चाहते हैं तो खनन विभाग का कहना है आप पर मुकदमा दर्ज है, आपको डीलर लाइसेंस नहीं दिया जा सकता। जबकि गजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। गजट में उलेखित है की सजा प्राप्त व्यक्ति को ही लाइसेंस नहीं दिया जा सकता। जबकि खनन विभाग द्वारा कुछ कंपनी एवं कुछ कंपनी के डायरेक्टरों पर मुकदमा रहते हुए भी मार्च 2023 लाइसेंस दिया गया।

पाकुड़ खनन विभाग कुछ मालिक को मुकदमा है कहते हुए लाइसेंस ना देना और कुछ मालिकों को घोटाला के आरोपी (मुकदमा) रहते हुए भी डीलर लाइसेंस देना, यह किस ओर इशारा करता है। अगर किसी को पट्टा निर्गत हुआ भी है तो, उन लोगों को किया गया है जिनका खनन विभाग पर आर्थिक या राजनीतिक दबाव बना हुआ है।

मई 2022 के बाद कोई भी नया खनन पट्टा नहीं दिया गया और किसी को दिया भी गया हो तो यह जांच का विषय है। पाकुड़ जिला में पत्थर उत्खनन का कार्य बड़े पैमाने पर बिना पट्टा का भी किया जा रहा है। बिना परमिट का ही पत्थर का परिवहन जिले से बाहर हो रहा है। जिसके एवज में कहां-कहां तक मोटी रकम पहुचाई जाती है यह तो ईडी के छापेमारी के बाद ही पता चल पाएगा।

पत्थर माफियाओं की बात करें तो साहिबगंज जिले से भी बड़े-बड़े पत्थर माफिया पाकुड़ जिले में है। जिनका प्रतिदिन करोड़ों में टर्नओवर है और पैसे को पड़ोसी राज्य में खपाया जाता है।

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