झारखंड में नई नियोजन नीति पर सियासत जारी, BJP बोली- ’60-40 का फॉर्मूला नहीं चलेगा’

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Jharkhand Planning Policy: इन दिनों झारखंड में नियोजन नीति (Planning Policy) पर काफी गहमा गहमी देखी जा रही है. इस नीति को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां झारखंड की जनता को लुभाने का प्रयास कर रही है. जहां बीजेपी (BJP) अपने द्वारा बनाई गई नियोजन नीति के समर्थन में है, वहीं हेमंत सरकार (Hemant Soren) अलग नियोजन नीति पर विचार कर रही है. पक्ष और विपक्ष दोनों अपनी नियोजन नीति को बेहतर बताने में लगे हुए हैं. बता दें कि हेमंत सोरेन की सरकार ने 3 फरवरी को रघुवर दास की सरकार काल में बनाई गई नियोजन नीति को वापस लेने और इसे रद्द कर नई नीति लाने की घोषणा कर दी है. 

क्या थी झारखंड की पुरानी नीति क्या थे इसमें प्रावधान
14 जुलाई 2016 को राज्य सरकार की ओर से एक अधिसूचना जारी कर नियोजन नीति लागू की गई थी. नियोजन नीति के अंतर्गत 13 जिलों को अनुसूचित और 11 जिलों को गैर अनुसूचित जिला घोषित कर दिया गया था. नियोजन नीति के अंतर्गत अनुसूचित जिलों की ग्रुप सी और डी की नौकरियों में वहीं के निवासियों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया था यानी कि अनुसूचित जिलों की नौकरियों के लिए वहीं के लोग अप्लाई कर सकते थे और नौकरी पा सकते थे. यानी इन जिलों की नौकरियों को यही के निवासियों के लिए पूरी तरह से आरक्षित कर दिया गया था जबकि गैर अनुसूचित जिलों की नौकरियों के लिए हर कोई अप्लाई कर सकता था. राज्य सरकार ने यह नीति 10 साल के लिए बनाई थी जिसके बाद 2016 में राज्य सरकार की ओर से 17572 पदों के लिए शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे. इस भर्ती के 8423 पद अनुसूचित जिलों में जबकि 9149 पर गैर अनुसूचित जिलों में थे. 

नियोजन नीति की वजह से गैर अनुसूचित जिलों से आने वाले अभ्यर्थी अनुसूचित जिलों के लिए आवेदन नहीं कर पाए.  इसे समानता के अधिकार के खिलाफ बताते हुए सोनी कुमारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. सोनी ने कोर्ट को बताया कि वह गैर अनुसूचित जिले के निवासी हैं और उन्हें अनुसूचित जिलों के लिए आवेदन किया था जिसे रद्द कर दिया गया. संविधान के अनुसार किसी भी पद को शत प्रतिशत आरक्षित नहीं किया जा सकता. इसके बाद कोर्ट ने नियुक्ति की प्रक्रिया पर उसी वक्त रोक लगा दी. वहीं हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में कोई भी पद शत प्रतिशत आरक्षित नहीं किया जा सकता है. आरक्षण की अधिनियम सीमा 50% ही हो सकती है जबकि नियोजन नीति के चलते अनुसूचित जिलों में यह 100% आरक्षण दिया जा रहा था.

नई नीति का विरोध कर रही बीजेपी, आखिर क्यों
वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि अब झारखंड को 11 और 13 जिलों में बांटा नहीं जाएगा. सभी 24 जिलों के लिए एक ही नियोजन नीति बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि यूपी और बिहार के लोग आकर तृतीय और चतुर्थ वर्गों के पदों पर नौकरी नहीं पा सकते. रघुवर सरकार ने युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है. बताते चलें कि हेमंत सरकार ने बीते 3 फरवरी को रघुवर सरकार द्वारा बनाई गई नियोजन नीति को रद्द कर नई नियोजन नीति लाने की घोषणा कर डाली थी. 

इधर बजट सत्र के दौरान लगातार नियोजन नीति को लेकर हंगामा देखा जा रहा है. बीजेपी द्वारा सदन के अंदर और बाहर हेमंत सरकार के द्वारा बनाई जा रही नियोजन नीति का बहिष्कार किया जा रहा है. हेमंत सोरेन सरकार 60-40 के फॉर्मूले पर नियोजन नीति लाने का विचार कर रही है जिसमें 60 प्रतिशत स्थानीय लोगों को और 40 प्रतिशत बाहरी लोगों को आरक्षण मिलेगा, बीजेपी इसका लगातार विरोध कर रही है.

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