झारखंड विधानसभा में बुधवार को लगातार तीसरे दिन हंगामा हुआ और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने मांग की कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राज्य की नई रोजगार नीति के प्रावधानों को स्पष्ट करना चाहिए। भगवा रंग की टी-शर्ट पहने भाजपा विधायकों के हंगामे के बीच विधानसभा स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित की। इस पर ’60-40 नइ चलतो’ (60-40 स्वीकार्य नहीं होगा) और ‘1932 के खतियां का क्या हुआ’ प्रदर्शित किया गया।
विधानसभा टीवी पर कार्यवाही का सीधा प्रसारण रोकने का निर्देश
सुबह करीब 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भगवा पार्टी के विधायक नई रोजगार नीति पर मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए। हंगामे के बीच स्पीकर ने अधिकारियों को प्रश्नकाल के दौरान कुछ समय के लिए विधानसभा टीवी पर कार्यवाही का सीधा प्रसारण रोकने का निर्देश दिया। इससे झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम नाराज हो गए, जिन्होंने अनुसूची क्षेत्र में पंचायत विस्तार (पीईएसए) अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए समय सीमा पर एक पूरक प्रश्न पूछने से इनकार कर दिया, जिससे स्पीकर को प्रसारण फिर से शुरू करने का आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
विधायक सुदेश महतो ने स्पीकर पर लगाया पक्षपात का आरोप
हंगामे के बीच आजसू पार्टी के सुदेश महतो ने टिप्पणी की कि क्या स्पीकर सत्तारूढ़ दल का पक्ष ले रहे हैं, जिस पर स्पीकर ने कड़ी आपत्ति जताई और सदन की कार्यवाही दोपहर 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। भाजपा विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि सरकार 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति को लागू करने में विफल रही है, जैसा कि उसके चुनावी घोषणापत्र में वादा किया गया था।
तीन बार स्थगित हुई सदन की कार्रवाई
करीब साढ़े बारह बजे सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए शुरू हुई, लेकिन कार्रवाई फिर से दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई और हंगामे के बीच स्पीकर ने सदन की कार्यवाही तीसरी बार दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी। जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो इसे फिर से स्थगित कर दिया गया।
विपक्ष का आरोप- रोजगार नीति में स्पष्टता का अभाव
विपक्ष ने रोजगार प्रणाली के लिए 60-40 अनुपात शुरू करने की सरकार की योजना पर स्पष्टीकरण की मांग की। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि नई नीति के तहत 60 फीसदी सीटें विभिन्न वंचित श्रेणियों के लिए आरक्षित होंगी, जबकि 40 फीसदी सीटें सभी के लिए खुली होंगी। विधायकों ने कहा कि नीति में स्पष्टता का अभाव है और सरकार का रोजगार देने का कोई इरादा नहीं है।