Monday, November 25, 2024
Homeगोधन न्याय योजना शुरू, कार्यशाला के माध्यम से जैविक कृषि की दी...

गोधन न्याय योजना शुरू, कार्यशाला के माध्यम से जैविक कृषि की दी गई जानकारी

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें

रांची । हेसाग स्थित पशुपालन विभाग के सभागार में राज्य के कृषि मंत्री श्री बादल ने गोधन न्याय योजना का का लोकार्पण किया।

उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों से आए प्रगतिशील किसानों और दुग्ध उत्पादकों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में गोवंश के गोबर से हम जैविक कृषि के क्षेत्र में झारखंड की पहचान बना सकते हैं। आज हम केमिकल फर्टिलाइजर पर आश्रित हैं, जो हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर छोड़ते हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य के पांच जिलों से गोधन न्याय योजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हो रही है। इस प्रोजेक्ट की सफलता की समीक्षा के उपरांत पूरे राज्य में इसे चलाने की योजना बनाएंगे, इसलिए सभी गोपालकों से निवेदन है कि वह राज्य को जैविक झारखंड बनाने की दिशा में आगे बढ़ें।

श्री बादल ने कहा कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद्य पदार्थों का उपयोग हो, हमारे उत्पादों को जैविक की मान्यता मिले, इसके लिए एजेंसी और सेंटर बनाने की तैयारी सरकार कर रही है। वर्मी कंपोस्ट के लिए हमने 10 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है, अगर यह सफल रहा, तो 100 करोड़ की योजना भी बनाई जाएगी। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को 8 रुपए किलो वर्मी कंपोस्ट उनके इलाके में ही उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही गोपालकों से 2 रुपए किलो गोबर सरकार लेगी और प्रसंस्करण के बाद किसानों को वर्मी कंपोस्ट के रूप में उपलब्ध कराएगी।

कृषि मंत्री श्री बादल ने कहा कि हमारी सरकार ने गाय को सम्मान देने का काम किया है। गोशाला पर काम करने के साथ पहली बार राज्य में गोमुक्तिधाम के निर्माण की शुरुआत की गई है। राज्य के 12 लाख किसानों को अब तक प्रति किसान 3500 रुपए का लाभ दिया जा चुका है। साथ ही 9.38 लाख किसानों के बीच सुखाड़ से हुए नुकसान के एवज में 810 करोड़ की राशि फसल बीमा के लाभ के रूप में वितरित की गई है। किसानों के कल्याण के लिए हमने सुखाड़ राहत के लिए केंद्र सरकार को 9682 करोड़ की मांग की है। यह राशि सीधे किसानों के खाते में जाएगी। हमारे विभाग ने माननीय मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश में कई फ्लैगशिप योजना की शुरुआत की है। गोधन न्याय योजना भी उनमें से एक है, जिससे प्रथम चरण में करीब 10 हजार किसान लाभान्वित होंगे।

सभी सभ्यताओं में गोवंश का स्थान प्रमुख: महालिंगा शिवाजी

ऑर्गेनिक फार्मिंग अथॉरिटी ऑफ़ झारखंड के सीईओ श्री महालिंगा शिवाजी ने कहा कि जितना गोवंश जहां होता है, वहां उतनी ही समृद्धि और संपन्नता आती है। सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर आज तक हर काल में गोवंश का स्थान प्रमुख रहा है। उन्होंने कहा कि गोबर में पोषक तत्व होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। इसीलिए इस योजना से 504 लाख मीट्रिक टन उत्सर्जित गोबर को नाइट्रोजन के रूप में कन्वर्ट किया जा सकेगा और इस कन्वर्जन से राज्य को 22000 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। यह योजना पारंपरिक कृषि की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

क्या है गोधन न्याय योजना?

इस योजना का उद्देश्य झारखंड राज्य में उपलब्ध गोवंश के द्वारा उत्सर्जित गोबर का उपयोग वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हुए कृषक की रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम करने एवं कृषकों की आय में वृद्धि करना है। साल 2019 के आर्थिक सर्वे के अनुसार राज्य में 12.57 मिलियन गोवंश हैं। एक अनुमान के तौर पर गोवंश के द्वारा 504 लाख टन गोबर का उत्सर्जन प्रति वर्ष किया जाता है।

बता दें कि गोवंश द्वारा उत्सर्जित गोबर कृषि के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये मिट्टी के जलधारण क्षमता को बढ़ाते हुए मिट्टी की जैविक मात्रा में वृद्धि करते हैं। गोबर को कृषि कार्यों में प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए एक प्रभावी प्रबंधन की जरूरत है, जो कृषकों के लिए लाभदायक होगा। पूरे राज्य में उत्पादित गोबर को गोपालकों से क्रय कर वर्मी कंपोस्ट में परिवर्तित कर अनुदानित दर पर कृषकों को उपलब्ध कराने का ये पायलट प्रोजेक्ट है। प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्तमान समय में प्रत्येक प्रमंडल के एक जिला से की जा रही है।

गोधन न्याय योजना का लक्ष्य

  • पशुपालकों की आय में वृद्धि।
  • पशुधन विचरण एवं खुली चराई पर रोक।
  • जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा एवं रसायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना।
  • स्थानीय स्तर पर जैविक खाद की उपलब्धता।
  • स्थानीय स्वयं सहायता समूह/ बेरोजगार युवकों को रोजगार के अवसर/गोशालाओं का सुदृढ़ीकरण।
  • भूमि की उर्वरता को बढ़ाने में मदद।
  • रासायनिक रहित खाद पदार्थों की उपलब्धता।

इस अवसर पर मुख्य रूप से कृषि निदेशक चंदन कुमार, उद्यान निदेशक, सीईओ ओफाज महालिंगा शिवाजी, निदेशक हॉर्टिकल्चर नेसार अहमद, संयुक्त निदेशक शशिभूषण अग्रवाल, रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी भविष्यानंद सहित जिला कृषि पदाधिकारी समेत बड़ी संख्या में कृषक और कृषक मित्र उपस्थित थे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments