पाकुड़। झालसा रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के तत्वाधान में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पाकुड़ बाल कृष्ण तिवारी के नेतृत्व में जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने मानवीय पहल की शुरूआत की है। इस पहल के अंतर्गत, ठंड से बचाव के लिए जरूरतमंदों, असहायों, बुजुर्गों, विधवाओं, दिव्यांगों एवं मजदूरों के बीच कंबल का वितरण किया गया।
इस वितरण का उद्देश्य उन योग्य व्यक्तियों की पहचान करके ठंड से राहत प्रदान करना है, जो ठंड के मौसम में विशेष रूप से असुरक्षित होते हैं। जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के निपनिया गांव समेत सुदूर ग्रामीण आदिवासी इलाकों सहित लिट्टीपाड़ा प्रखंड के कई गांवों में कंबल वितरण किया गया। वही कंबल पाकर लोगों में खुशी देखी गई।
पहल में भागीदारी
इस पहल में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ बाल कृष्ण तिवारी, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय राधा कृष्ण,अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राकेश कुमार, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अजय कुमार गुड़िया, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी निर्मल कुमार भारती, लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बीडीओ श्रीमान मरांडी समेत कोर्ट कर्मी, पीएलवी की भागीदारी रही।
कम्बल वितरण का उद्देश्य
इस मानवीय प्रयास का प्राथमिक उद्देश्य बढ़ती सर्दी के दौरान समाज के सबसे कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान करना था। यह पहल उन लोगों को ठण्ड से रहत प्रदान करने पर केंद्रित है जो ठंड से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हैं, जैसे कि बुजुर्ग, विकलांग व्यक्ति और आर्थिक रूप से वंचित।
अध्यक्ष बाल कृष्ण तिवारी के विचार
पाकुड़ में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष बाल कृष्ण तिवारी ने इस महत्वपूर्ण पहल के आयोजन पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “इस कार्यक्रम का उद्देश्य हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्गों को साहस और सहायता प्रदान करना है। हम चाहते हैं कि हमारे लोग ठण्ड के प्रतिकूल मौसम में भी सरल रूप से जीवन यापन कर सके। कंबल का वितरण हमारे द्वारा किया गया एक छोटा सा प्रयास है। यह हमारे समुदाय के सदस्यों की भलाई सुनिश्चित करने का एक पहल है।”
बाल कृष्ण तिवारी के मार्गदर्शन में पाकुड़ में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के नेतृत्व में कंबल वितरण पहल सामाजिक जिम्मेदारी और सहानुभूति का एक सराहनीय उदाहरण है। यह न केवल कमजोर लोगों की तत्काल जरूरतों को संबोधित करता है बल्कि समुदाय और साझा जिम्मेदारी की भावना को भी बढ़ावा देता है। इस तरह की पहल न्याय और मानवता के मूल मूल्यों को दर्शाते हुए अधिक समावेशी और दयालु समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।