पाकुड़। सोनाजोड़ी सदर अस्पताल में इलाजरत दो गंभीर रूप से बीमार मरीजों को समय पर रक्तदान से नई ज़िंदगी मिली। इस नेक कार्य में इंसानियत फाउंडेशन के सदस्यों का विशेष योगदान रहा, जिन्होंने अपनी इंसानियत का परिचय देते हुए दोनों मरीजों के लिए रक्तदान की व्यवस्था की।
सदर अस्पताल में भर्ती 50 वर्षीय महिला, मानिता देवी, जो पाकुड़ की निवासी हैं, को ओ पॉजिटिव ब्लड की सख्त जरूरत थी। साथ ही, महेशपुर के 7 वर्षीय रवि मुर्मू, जो थैलेसीमिया से पीड़ित हैं, को ए बी पॉजिटिव रक्त की आवश्यकता थी। डॉक्टरों ने दोनों ही मरीजों के परिजनों को रक्त चढ़ाने की सलाह दी, क्योंकि उनकी हालत गंभीर थी और बिना रक्त के इलाज संभव नहीं था।
मरीजों के परिजनों ने आसपास के क्षेत्रों में रक्तदाता ढूंढने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। एक तरफ मरीजों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी, वहीं दूसरी ओर रक्त की व्यवस्था नहीं हो पाने से परिजनों में चिंता बढ़ती जा रही थी।
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ऐसे समय में इंसानियत फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य नबाब शेख और अलाउद्दीन शेख ने आगे बढ़कर इस कठिनाई का समाधान ढूंढा। उन्होंने तुरंत पाकुड़ रक्त अधिकोष (ब्लड बैंक) से संपर्क किया और वहां जाकर जरूरतमंद मरीजों के लिए रक्तदान की व्यवस्था की। फाउंडेशन के सदस्य न सिर्फ रक्तदान करने के लिए तैयार हुए बल्कि वे खुद ब्लड बैंक गए और रक्तदान की प्रक्रिया पूरी करवाई।
इस नेक कार्य में बेलपोखर के साइम शेख, जिन्होंने ओ पॉजिटिव रक्तदान किया, और चकदामिहा के अंसारुल शेख, जिन्होंने ए बी पॉजिटिव रक्तदान किया, की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। इन रक्तदाताओं के कारण दोनों मरीजों को समय पर रक्त उपलब्ध हो सका, जिससे उनकी जान बचाई जा सकी।
रक्तदान के बाद, मरीजों के परिजनों ने इंसानियत फाउंडेशन और सभी रक्तदाताओं का धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब उनकी सारी कोशिशें नाकाम हो रही थीं, इंसानियत फाउंडेशन और उसके सदस्यों ने उनकी उम्मीदें फिर से जगा दीं। यह फाउंडेशन सिर्फ नाम से नहीं, बल्कि अपने कार्यों से भी इंसानियत की मिसाल कायम कर रहा है।
रक्तदाता साइम शेख और अंसारुल शेख ने इस अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उन्हें बहुत अच्छा महसूस होता है जब वे किसी जरूरतमंद की मदद कर पाते हैं। उन्होंने रक्तदान को महादान बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा कार्य है जिससे न केवल दूसरों की जान बचाई जा सकती है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी फैलता है।
इस मौके पर इंसानियत फाउंडेशन के सचिव बानिज शेख, सक्रिय सदस्य हैदर शेख, फरमान आलम, अलाउद्दीन शेख के साथ-साथ ब्लड बैंक के कर्मचारी नवीन कुमार और पियूष दास भी उपस्थित रहे। इन सभी ने मिलकर इस नेक कार्य को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।
यह घटना हमें यह सिखाती है कि जब समाज के लोग एकजुट होकर दूसरों की मदद के लिए आगे आते हैं, तो बड़ी से बड़ी मुसीबत भी हल हो सकती है। इंसानियत फाउंडेशन ने इस घटना के जरिए यह साबित कर दिया है कि जब तक हमारे समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं, तब तक इंसानियत जिंदा रहेगी।