हरिणडांगा मध्य विद्यालय में विधिक जागरूकता शिविर संपन्न
झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा, रांची) के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पाकुड़ के तत्वावधान में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पाकुड़, शेषनाथ सिंह के निर्देश में डालसा सचिव अजय कुमार गुड़िया के मार्गदर्शन में इस जागरूकता अभियान को प्रभावी रूप से संपन्न किया गया।
हरिणडांगा मध्य विद्यालय, पाकुड़ में पीएलवी (पैरा लीगल वॉलंटियर) कमला राय गांगुली ने उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को विधिक अधिकारों और सामाजिक कुरीतियों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
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सड़क सुरक्षा और शिक्षा के अधिकार पर जागरूकता
कार्यक्रम के दौरान सड़क सुरक्षा को लेकर विशेष जानकारी दी गई। बच्चों को बताया गया कि ट्रैफिक नियमों का पालन करना, हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग करना, जेब्रा क्रॉसिंग पर सड़क पार करना और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हुए वाहन न चलाना अत्यंत आवश्यक है।
इसके अलावा, शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act, 2009) के तहत सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। इस संबंध में छात्रों और उनके अभिभावकों को जागरूक किया गया ताकि वे शिक्षा से वंचित न रहें।
बाल विवाह, बाल श्रम और डायन प्रथा के खिलाफ चेतना अभियान
इस विधिक जागरूकता शिविर में बाल विवाह, बाल श्रम और डायन प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों का विवाह गैरकानूनी बताया गया। इसके गंभीर दुष्परिणामों से भी अवगत कराया गया।
बाल श्रम निषेध अधिनियम, 1986 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना गैरकानूनी है। बच्चों को उनके अधिकारों की जानकारी दी गई और बताया गया कि किसी भी बच्चे को मजबूरी में काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
डायन प्रथा जैसी अंधविश्वास पर आधारित सामाजिक बुराई के खिलाफ झारखंड डायन प्रथा उन्मूलन अधिनियम, 2001 के बारे में भी जानकारी दी गई। डायन बताकर किसी महिला का शोषण करना, उसे प्रताड़ित करना या उसके साथ हिंसा करना कानूनन अपराध है।
घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं को किया गया जागरूक
घरेलू हिंसा के मामलों में महिला अधिकारों और कानूनी सहायता पर भी चर्चा की गई। घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत महिलाओं को कानूनी संरक्षण और सहायता प्रदान किए जाने की जानकारी दी गई। महिलाओं को समझाया गया कि यदि उन्हें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक या किसी भी प्रकार की प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है, तो वे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से नि:शुल्क कानूनी सहायता प्राप्त कर सकती हैं।
पाकुड़िया प्रखंड मोगलाबांध में सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई
पाकुड़िया प्रखंड के मोगलाबांध गांव में भी विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां पीएलवी सीमा साहा ने ग्रामीणों को विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कई गरीब परिवार सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं क्योंकि उन्हें उनके अधिकारों और योजनाओं की सही जानकारी नहीं होती।
स्पॉन्सरशिप योजना और मुफ्त कानूनी सहायता की विस्तृत जानकारी
इस अवसर पर स्पॉन्सरशिप योजना के बारे में भी बताया गया, जिसके तहत जरूरतमंद बच्चों को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। यह सहायता उन बच्चों को दी जाती है जिनके माता-पिता नहीं हैं, जो अत्यंत गरीब परिवारों से आते हैं या जिन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पाकुड़ द्वारा प्रदान की जाने वाली मुफ्त कानूनी सहायता की भी विस्तृत जानकारी दी गई। गरीब, असहाय और वंचित वर्ग के लोग मुफ्त में कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं और अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।
विधिक जागरूकता से समाज में आएगा सकारात्मक बदलाव
इस प्रकार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित यह विधिक जागरूकता अभियान लोगों को उनके कानूनी अधिकारों और सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूक करने का एक प्रभावी प्रयास साबित हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे और उन्होंने महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की।
यह अभियान सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने, लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और विधिक सहायता तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।