Tuesday, March 18, 2025
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मध्यस्थता अभियान में हुआ दो दंपतियों का पुनर्मिलन, परिवारों में लौटी खुशियां

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कुटुंब न्यायालय के प्रयास से हुआ समझौता

पाकुड़ कुटुंब न्यायालय में 18 मार्च 2025 को एक महत्वपूर्ण विशेष मध्यस्थता अभियान के तहत दो अलग-अलग मूल भरण-पोषण मामलों में सुलह समझौता हुआ। प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश सुधांशु कुमार शशि के अथक प्रयासों से यह समझौता संभव हो पाया, जिससे दोनों मामलों में शामिल दंपतियों के रिश्ते में पुनः मधुरता आई और परिवारों में खुशी का माहौल बना।

पहला मामला: मासुदा खातुन उर्फ बीबी बनाम फारूख अहमद

पहला मामला मूल भरण-पोषण वाद संख्या- 272/2024 से संबंधित था, जिसमें मासुदा खातुन उर्फ बीबी एवं अन्य बनाम फारूख अहमद का मामला विचाराधीन था। इस विवाद के कारण परिवार विखंडित हो चुका था, लेकिन न्यायालय की मध्यस्थता प्रक्रिया के अंतर्गत दोनों पक्षों में सुलह समझौता हुआ। पति-पत्नी ने न केवल आपसी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को माला पहनाई, बल्कि खुशी-खुशी एक साथ रहने का निर्णय भी लिया।

इस मामले का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि मासुदा खातुन और फारूख अहमद के पुत्र जुबेर अहमद, जो मात्र दो वर्षीय है, अब अपने माता-पिता का स्नेह प्राप्त कर सकेगा। न्यायालय की इस पहल से उसके भविष्य को एक नई दिशा मिली, जिससे वह एक संपूर्ण परिवार के वातावरण में पलेगा।

दूसरा मामला: शाहिना खातुन बनाम तोहिद शेख

दूसरा मामला मूल भरण-पोषण वाद संख्या- 31/2025 से जुड़ा था, जिसमें शाहिना खातुन बनाम तोहिद शेख का विवाद लंबित था। इस दंपति ने प्रेम विवाह किया था, जिसे लेकर उनके परिवारों में असहमति थी। पारिवारिक विरोध के चलते शाहिना खातुन और तोहिद शेख के बीच मतभेद उत्पन्न हो गए थे, जिससे वे अलग रहने को मजबूर हो गए थे।

मध्यस्थता प्रक्रिया के तहत, न्यायालय के निरंतर प्रयासों से पत्नी ने सहर्ष अपने पति के साथ ससुराल जाने का निर्णय लिया। इस मौके पर दोनों के परिवारजन भी उपस्थित थे, जिन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। इस निर्णय से न केवल पति-पत्नी के रिश्ते में सुधार हुआ, बल्कि उनके परिवारों के बीच भी समन्वय स्थापित हुआ।

प्रधान न्यायाधीश के प्रयासों से हुआ संभव

इन दोनों मामलों में सुलह समझौता कराना प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, सुधांशु कुमार शशि के अथक प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने लगातार प्रयास कर दोनों पक्षों को समझाया और उनके बीच संवाद स्थापित कराया। उनका यह प्रयास न केवल संबंधित परिवारों के लिए सुखद रहा, बल्कि यह कुटुंब न्यायालय में मध्यस्थता अभियान की सफलता का भी एक प्रेरणादायक उदाहरण बना।

न्यायालय की पहल से लौटे घर खुशहाल

इस विशेष मध्यस्थता अभियान के कारण दो परिवारों को टूटने से बचाया गया और उनकी वैवाहिक जीवन में पुनः सामंजस्य स्थापित किया गया। इससे यह सिद्ध हुआ कि पारिवारिक विवादों को कानूनी लड़ाई की बजाय संवाद और आपसी समझौते से सुलझाया जा सकता है। यह पहल समाज के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है कि समझौते और प्रेम से हर रिश्ते को बचाया जा सकता है

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