IDEAL संस्था के तत्वावधान में अपर्णा मार्केट में हुआ विचार मंथन
पाकुड़ नगर स्थित अपर्णा मार्केट कॉम्प्लेक्स में गुरुवार की देर शाम एक महत्वपूर्ण और विचारोत्तेजक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का आयोजन गैर-सरकारी संस्था IDEAL के सचिव संजय कुमार की अध्यक्षता में किया गया। संगोष्ठी का मुख्य विषय था—“एक राष्ट्र, एक चुनाव”, जो वर्तमान लोकतांत्रिक प्रणाली में चुनावी सुधार, संसाधनों की बचत, और प्रभावी शासन व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
संगोष्ठी का उद्देश्य और प्रमुख सहभागिता
इस संगोष्ठी का उद्देश्य न केवल एक साथ चुनाव कराने की आवश्यकता पर विमर्श करना था, बल्कि इसके माध्यम से जनता में लोकतंत्र की मजबूती, राजनीतिक स्थिरता, और विकास के लिए समय की बचत जैसे लाभों को उजागर करना भी था। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से भाजपा जिलाध्यक्ष अमृत पाण्डेय, प्रदेश मंत्री दुर्गा मरांडी, अनुग्रहित प्रसाद साह, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष शबरी पाल, और निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष सम्पा साहा की गरिमामयी उपस्थिति रही।
राष्ट्रपति को भेजा गया ज्ञापन
संगोष्ठी के समापन पर, देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद महामहिम राष्ट्रपति को “एक राष्ट्र, एक चुनाव” के समर्थन में एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया। यह ज्ञापन न केवल संगोष्ठी की संकल्पना का प्रतीक था, बल्कि इसे जनमत के रूप में प्रस्तुत किया गया।
संजय कुमार ने बताया- अखंड राष्ट्र के लिए जरूरी है एक साथ चुनाव
IDEAL संस्था के सचिव संजय कुमार ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि देश में बार-बार चुनाव कराना न केवल आर्थिक संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि इससे शासन व्यवस्था भी प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि चुनावों में होने वाला खर्च देश के शिक्षा बजट के बराबर है। बार-बार चुनाव कराने से न केवल प्रशासनिक मशीनरी थक जाती है, बल्कि जनता भी चुनावी थकान से जूझती है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के बाद विभिन्न राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के असमान कार्यक्रमों के कारण एक साथ चुनाव की परंपरा बाधित हो गई, जिसे अब पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है।
अमृत पाण्डेय ने कहा—एक राष्ट्र, एक चुनाव मोदी का दूरदर्शी विचार
भाजपा जिलाध्यक्ष अमृत पाण्डेय ने इस अवसर पर कहा कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक दूरदर्शी और ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, तीन तलाक, और अयोध्या जैसे मुद्दों पर ऐतिहासिक सुधारों को क्रियान्वित किया और अब देश को चुनावी सुधार की दिशा में एक नई दिशा देने का साहसिक कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली लागू होने से राष्ट्र निर्माण, सुव्यवस्था, और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में गति मिलेगी।
दुर्गा मरांडी ने उठाया कानूनी संशोधनों की आवश्यकता का मुद्दा
प्रदेश मंत्री दुर्गा मरांडी ने अपने वक्तव्य में कहा कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” जैसी व्यवस्था को कानूनी ढांचे में लाने के लिए कई संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी। उन्होंने विशेष रूप से अनुच्छेद 82 और 83 में आवश्यक बदलावों पर बल दिया और कहा कि राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग की भूमिका इसमें केंद्रबिंदु होगी। उन्होंने इस विचार को सिर्फ चर्चा तक सीमित न रखते हुए प्रायोगिक धरातल पर लाने की बात कही।
अनुग्रहित प्रसाद साह ने रखी विधायी सुधारों की बात
इस संगोष्ठी में अनुग्रहित प्रसाद साह ने भी विचार रखते हुए कहा कि इस योजना को अमल में लाने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में भी सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव को लोकसभा चुनाव के साथ कराने के लिए अनुच्छेद 82 के छह सह-अनुच्छेदों और अनुच्छेद 83 में संशोधन जरूरी होगा, भले ही किसी राज्य में सरकार का शेष कार्यकाल केवल कुछ वर्ष ही क्यों न बचा हो।
शबरी पाल और सम्पा साहा ने रखे महिला दृष्टिकोण से विचार
महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष शबरी पाल ने कहा कि यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न होते हैं, तो एक ही मतदाता सूची के उपयोग से प्रक्रिया में पारदर्शिता और सरलता आएगी। वहीं, महिला मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष सम्पा साहा ने कहा कि आर्थिक दृष्टिकोण से “एक राष्ट्र, एक चुनाव” अत्यंत लाभकारी होगा। उन्होंने बताया कि अकेले लोकसभा चुनाव में करीब 4500 करोड़ रुपये का व्यय होता है। यदि राज्यों के चुनाव एक साथ कराए जाएं तो अत्यधिक खर्च को बचाया जा सकता है, जिसे फिर विकास कार्यों में निवेश किया जा सकता है।
प्रबुद्ध नागरिकों और अधिवक्ताओं की रही भागीदारी
इस संगोष्ठी में पूर्व प्रदेश मंत्री शर्मिला रजक, युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष दीपक साह, मनोरंजन सरकार, सोहन मंडल, अधिवक्ता अजीत रविदास, सपन दुबे, हिसाबी राय, प्राची चौधरी, अधिवक्ता संजीत मुखर्जी, अनामिका कुमारी, निधि गुप्ता सहित कई गणमान्य नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, और कानूनी विशेषज्ञ उपस्थित रहे। सभी ने इस विषय पर चर्चा करते हुए इसे राष्ट्रीय हित में उठाया गया कदम बताया।
समापन में जताई गई आशा—एकजुटता से मिलेगा समाधान
कार्यक्रम के समापन पर सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों ने एक स्वर में कहा कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति और संवैधानिक संशोधन साथ आएं, तो “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की परिकल्पना जल्द ही वास्तविकता में तब्दील हो सकती है। यह न केवल लोकतंत्र को सशक्त करेगा बल्कि भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में पहुंचाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा।