रांची. गिलोय पौधे का नाम तो आपने जरूर सुना होगा.यह पौधा खासकर कोरोना के समय काफी चर्चा में आया था.क्योंकि इसकी जबरदस्त रोग प्रतिरोधक शक्ति कोरोना के दौरान लोगों को ठीक करने में काफी काम आई थी.इसकी अद्भुत क्षमता को देखते हुए झारखंड की राजधानी रांची के बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में गिलोय की प्रोसेसिंग और रिसर्च के लिए देश का पहला सेंटर स्थापित किया गया है.
सोमवार को गिलोय की प्रोसेसिंग रिसर्च सेंटर की स्थापना की गई ,जिसका उद्घाटन झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने किया.इस दौरान राज्यपाल ने कहा गिलोय एक बहुत ही शक्तिशाली पौधा है.इसके कई औषधीय गुण है. इसका व्यावसायिक उत्पादन भी हो सकता है.जिससे किसानों को बहुत बड़ा लाभ मिलेगा.साथी यह देश का पहला रिसर्च सेंटर हैं जो बिरसा कृषि यूनिवर्सिटी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.
गिलोय में औषधीय गुणों की भरमार
उद्घाटन के दौरान झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख मौजूद रहे.उन्होंने कहा गिलोय पर कई रिसर्च हुआ है . इस दौरान यह बात सामने आई है कि गिलोय डेंगू, मलेरिया व बुखार के लक्षणों में काम आता है.आज एलोपैथिक डॉक्टर भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.साथ ही हर्बल और आयुर्वेदिक में तो उसका इस्तेमाल सदियों से चला रहा है. रिसर्च सेंटर खुलने के बाद इसके कई और गुण और उपयोगिता के बारे में पता चलेगा.इससे किसानों को खासा फायदा होगा और कमर्शियल उत्पाद से आमदनी में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.
16 जिले के किसानों को होगा लाभ
आपको बताते चलें कि इसकी स्थापना केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना के तहत झारखंड सरकार के कृषि निदेशालय के सहयोग से की गई है.कोविड-19 के संक्रमण के दौरान गिलोय के पौधे को इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में देखा गया और इलाज में काफी प्रभावशाली माना गया था.इसकी रोक प्रतिरोधक क्षमता की चर्चा पूरे देश में हुई थी. रांची में इस सेंटर से राज्य के 16 जिले के किसानों को भी औषधीय पौधे की खेती से जोड़ा जाएगा और इस पौधे को उगाने के तरीके फिर मार्केटिंग के भी गुर किसानों को सिखाए जाएंगे.
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