Thursday, February 13, 2025
Homeलखनऊ के कुछ थानों में सीसीटीवी कैमरे काम नहीं करने पर उच्च...

लखनऊ के कुछ थानों में सीसीटीवी कैमरे काम नहीं करने पर उच्च न्यायालय चिंतित

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें

[ad_1]

Creative Common

पीठ को अवगत कराया गया कि पुलिस आयुक्त ने इस मामले में दारोगा रमेश चंद्र यादव और प्रभारी निरीक्षक आलोक राव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी, तो पीठ ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सिर्फ दो सिपाहियों राहुल कुमार और विशाल सिंह का स्थानांतरण पर्याप्त नहीं है, क्योंकि याचिका में उनके खिलाफ हिरासत में हिंसा करने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका में दोनों सिपाहियों को विरोधी पक्ष बनाने के लिए कहते हुए पुलिस से 20 सितंबर को उसके समक्ष की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को यहां कुछ थानों में में क्लोज सर्किट टीवी (सीसीटीवी) कैमरों के काम न करने पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति एन के जौहरी की पीठ ने रजत बाजपेयी की रिट याचिका पर अपने आदेश में लखनऊ के पुलिस आयुक्त को मामले पर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है।
उच्च न्यायालय ने चिनहट थाने में कथित हिरासत में हिंसा के संबंध में एक मामले की सुनवाई करते हुए सहायक पुलिस आयुक्त (पूर्वी) सैय्यद अली अब्बास की एक रिपोर्ट पर आश्चर्य जताया जिसमें कहा गया है कि सीसीटीवी कैमरे कुछ दिनों से काम नहीं कर रहे थे।पीठ ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान उसने पाया कि घटना के समय एसजीपीजीआई थाने के सीसीटीवी कैमरे भी काम नहीं कर रहे थे।

पीठ ने कहा, यह गंभीर चिंता का विषय है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि मटियारी-देवा रोड क्रॉसिंग पर उसकी मोटरसाइकिल की पार्किंग को लेकर उसके और पुलिस के बीच हुए विवाद के बाद पुलिसकर्मियों ने उसे चिनहट थाने ले जाकर उसे प्रताड़ित किया था।
पीठ ने जब थाने की हवालात की सीसीटीवी फुटेज तलब की तो उसे बताया गया कि घटना वाले दिन से कुछ दिन पहले से कैमरे काम नहीं कर रहे थे।
उच्च न्यायालय ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस आयुक्त से इस मामले पर गौर करने को कहा और चिनहट थाने के दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिये। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख तक इस बात की रिपोर्ट भी मांगी है कि कि सीसीटीवी कैमरे आखिर क्यों काम नहीं कर रहे हैं।
इससे पहले, पुलिस ने कहा था कि याचिकाकर्ता के पिता और भाई उच्च न्यायालय में वकील हैं और जब उन्हें सड़क पर अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करने से रोका गया और थाने ले जाया गया तो उन्होंने तमाशा खड़ा कर दिया।

हालांकि पीठ ने पाया कि उसके निर्देश पर डॉक्टर द्वारा दी गई मेडिकल रिपोर्ट से पता चला कि याचिकाकर्ता के दोनों पैरों में कठोर और कुंद चीज से खरोंच और चोट आई थी।
पीठ को अवगत कराया गया कि पुलिस आयुक्त ने इस मामले में दारोगा रमेश चंद्र यादव और प्रभारी निरीक्षक आलोक राव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी, तो पीठ ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सिर्फ दो सिपाहियों राहुल कुमार और विशाल सिंह का स्थानांतरण पर्याप्त नहीं है, क्योंकि याचिका में उनके खिलाफ हिरासत में हिंसा करने का आरोप लगाया गया था।
अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका में दोनों सिपाहियों को विरोधी पक्ष बनाने के लिए कहते हुए पुलिस से 20 सितंबर को उसके समक्ष की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



अन्य न्यूज़



[ad_2]

Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments