Thursday, December 5, 2024
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पाकुड़ पॉलीटेक्निक में “विश्व एड्स दिवस” पर आयोजित हुआ विशाल मानव श्रृंखला कार्यक्रम

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पाकुड़। अपराह्न 4 बजे पाकुड़ पॉलीटेक्निक संस्थान में “विश्व एड्स दिवस” के अवसर पर एक विशाल मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज को एड्स और उसके बचाव के प्रति जागरूक करना था। कार्यक्रम में संस्थान के सभी छात्र और कर्मचारीगण ने भाग लिया। विशेष रूप से यह दिन हर साल 1 दिसंबर को विश्व भर में एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो 1988 से शुरू हुआ था। यह दिन एड्स (Acquired Immune Deficiency Syndrome) के बारे में जन जागरूकता फैलाने और इसके संक्रमण के बचाव के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है।

प्रारंभिक जागरूकता सत्र और उद्घाटन भाषण

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए सभी को एड्स और इसके बचाव से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। संस्थान के प्राचार्य डॉ. ऋषिकेश गोस्वामी ने अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि एड्स एक ऐसी साइलेंट किलर बीमारी है, जो व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करती है। उन्होंने कहा कि यदि इस बीमारी का पता प्रारंभिक चरण में चल जाए, तो इसका उपचार संभव है। डॉ. गोस्वामी ने बताया कि एड्स एक गंभीर और लाइलाज बीमारी है, जिसका इलाज केवल सही समय पर इलाज और जागरूकता से ही संभव हो सकता है।

जागरूकता कार्यक्रम और विभागाध्यक्षों के विचार

इस कार्यक्रम में संस्थान के विभिन्न विभागाध्यक्ष और व्याख्याताओं ने भी अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। सभी ने एकमत होकर कहा कि समाज में आज भी एड्स को लेकर ग़लतफहमियाँ और भय मौजूद हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिसे लोग अक्सर छुपाने का प्रयास करते हैं, जो कि समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस अवसर पर संस्थान के छात्रों ने तख्तियों पर स्लोगन और चित्रकारी बना कर एक मानव श्रृंखला बनाई, जो कई किलोमीटर लंबी थी। इन तख्तियों पर एड्स से बचाव और जागरूकता के संदेश थे, जिन्हें देख कर स्थानीय लोग इस बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए उत्सुक हुए।

समाज के प्रति छात्रों का योगदान

पाकुड़ के आमलोगों ने इन तख्तियों को ध्यानपूर्वक अवलोकन करते हुए जानकारी अर्जित की और कार्यक्रम में भाग लेने वाले पाकुड़ पॉलीटेक्निक के छात्रों और अधिकारियों का धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले बच्चों ने हाथ में मोमबत्तियाँ लेकर मार्च किया और फिर संस्थान परिसर में स्थित प्रशासनिक भवन के सामने इन मोमबत्तियों को रखा, जो आने वाले समय में आशा की किरणों के रूप में परिणत हुआ। इस प्रयास से यह संदेश दिया गया कि एड्स जैसी बीमारियों से जंग के लिए हमें एकजुट होने की आवश्यकता है।

अधिकारियों के विचार और संदेश

पाकुड़ पॉलीटेक्निक के निदेशक आमिया रंजन बड़ाजेना ने इस कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़कर अपने संबोधन में कहा कि पाकुड़ पॉलीटेक्निक सिर्फ अच्छे अभियंता ही नहीं बल्कि संवेदनशील इंसान भी तैयार करता है। उन्होंने कहा कि संस्थान समाज में व्याप्त सभी कुरीतियों और विषम स्थितियों के प्रति जागरूक रहकर अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा। उन्होंने सजग समाज बनाने पर जोर दिया और कहा कि हमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सौहार्द के प्रति जागरूक और संकल्पित समाज की आवश्यकता है।

संस्थान के प्रशासनिक पदाधिकारी निखिल चंद्र ने इस जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से एक अभियान की शुरुआत करने की बात की, ताकि लोग एच.आई.वी. टेस्ट कराने में संकोच न करें और स्वास्थ्य जांच को प्राथमिकता दें। उन्होंने यह भी कहा कि हमें एड्स रोगियों के प्रति हमदर्दी रखनी चाहिए, ताकि समाज में यह बीमारी और इसके प्रति नफरत और भय की भावना समाप्त हो सके।

छात्रों की भागीदारी और प्रतियोगिता

इस अवसर पर छात्रों के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने ज्ञानवर्धक संदेशों के साथ कई तख्तियाँ बनाई। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्रों में पियूष सिंह, सचिन कुमार, इमरान, स्वीटी, दुर्गेश, आरिफ, रमेश, रौशन, राजकुमार, सुबोध, दीपक, परवेज, नेहा, अर्चना, प्रिंस, उज्जवल, जगन्नाथ, पीयूष गुप्ता, रितम, रिया आदि कई छात्रों ने हिस्सा लिया। इन छात्रों ने एड्स के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए अपनी रचनात्मकता का पूरा उपयोग किया और लोगों तक यह महत्वपूर्ण संदेश पहुंचाया।

समाज को जागरूक करने की दिशा में एक कदम और

यह कार्यक्रम न केवल एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण कदम था, बल्कि यह संस्थान की संवेदनशीलता और समाज सेवा की ओर भी एक सकारात्मक पहल था। इस तरह के आयोजन से न केवल छात्रों को एक संवेदनशील नागरिक बनने की प्रेरणा मिलती है, बल्कि समाज में एड्स जैसी बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने में भी मदद मिलती है।

पाकुड़ पॉलीटेक्निक का यह कदम निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक साबित होगा और आने वाले दिनों में हम और अधिक इस तरह के जागरूकता अभियानों की उम्मीद कर सकते हैं।

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