पाकुड़। व्यवहार न्यायालय परिसर में विशेष मध्यस्थता अभियान के तहत गुरुवार को एक महत्वपूर्ण वाद में समझौता हुआ। यह सुलह अभियान के तीसरे दिन शाम करीब 4 बजे संपन्न हुआ। मामले में प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश सुधांशु कुमार शशि के प्रयासों से पति-पत्नी के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद समाप्त हुआ।
पति-पत्नी ने एक-दूसरे को पहनाई माला
इस मौके पर न्यायालय परिसर में भावुक क्षण देखने को मिला, जब पति-पत्नी ने एक-दूसरे को माला पहनाई और अपने रिश्ते को नई शुरुआत दी। सुलह के बाद पति अपनी पत्नी को अपने साथ घर ले गए। इस फैसले से न सिर्फ दोनों पक्षों को राहत मिली, बल्कि उनके परिजनों ने भी संतोष व्यक्त किया।
बच्चों के भविष्य को रखा गया प्राथमिकता में
इस सुलह का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि दंपति के दो छोटे बच्चे हैं, जिनकी उम्र मात्र एक वर्ष और दो वर्ष है। न्यायालय ने मामले में बच्चों के भविष्य को प्राथमिकता दी, ताकि वे माता-पिता का प्यार और संरक्षण प्राप्त कर सकें। मध्यस्थता के जरिए यह सुनिश्चित किया गया कि बच्चों का पालन-पोषण एक स्वस्थ वातावरण में हो।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने दी जानकारी
इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पाकुड़ के सचिव अजय कुमार गुड़िया ने बताया कि मध्यस्थता अभियान का उद्देश्य विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाना है। उन्होंने कहा कि इस तरह के सुलह समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने में सहायक होते हैं।
न्यायालय के प्रयास से टूटा नहीं परिवार
न्यायालय के प्रयासों की बदौलत एक परिवार टूटने से बच गया और बच्चों को माता-पिता का साथ मिला। यह सुलह न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक समरसता की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम साबित हुआ।
विशेष मध्यस्थता अभियान के तहत आगे भी ऐसे प्रयास जारी रहेंगे, जिससे विवादों का समाधान आपसी सहमति और सौहार्दपूर्ण तरीके से किया जा सके।