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नीरज कुमार/बेगूसराय: प्रदेश में खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुका है. अब एकीकृत कृषि प्रणाली के फायदों को समझते हुए ज्यादातर किसानों ने खेती के साथ-साथ गाय-भैंस पालन शुरू कर दिया है.
वहीं इसके विपरीत अगर किसान को अपने पशु से नुकसान हो रहा है तो सरकारी गौशाला को दान कर देते हैं. दान किए हुए पशुओं की देखभाल करते-करते बिहार में सबसे ज्यादा पशुओं वाले गौशाला के रूप में मारवाड़ी गौशाला की पहचान बन चुकी है. बिहार में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन का भी रिकॉर्ड इसी गोशाला के नाम दर्ज है.
300 लीटर तक रोजाना दूध का होता है उत्पादन
मारवाड़ी गौशाला के सचिव विनोद हिसारिया ने बताया कि यह गौशाला 135 साल साल पुराना है. वहीं इस गौशाला में गाय का लगभग हर नस्ल देखने को मिल जाएगा. यहां 200 से अधिक पशुधन हैं. वहीं यहां तकरीबन 250 से लेकर 300 लीटर तक रोजाना दूध का उत्पादन होता है.
यहां रोजाना 18 हजार मूल्य का दूध उत्पादन कर स्थानीय लोगों को उपलब्ध कराया जाता है. मारवाड़ी गौशाला में काम कर रहे गोलू कुमार ने बताया कि 13 लोगों को यहां रोजगार मिला हुआ है. सभी को हर माह 9 हजार वेतन दिया जाता है. मजदूर वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
बिहार की सभी गोशाला को इसी तर्ज पर किया जाएगा विकसित
सचिव विनोद हिसारिया ने बताया कि मारवाड़ी गौशाला में गाय के बेहतर स्वास्थ्य और अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन के लिये समय पर चारा, दाना, संतुलित पशु आहार खुद से तैयार कर दिया जाता है. आधुनिक तरीके से पशुपालन करने के लिये गौशाला में बिजली-पानी का बेहतर इंतजाम किया गया है.
गौशाला प्रबंधन समिति के मुताबिक पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी, पशुपालन मंत्री अफाक आलम, केंद्रीय पशुपालन व मत्स्य मंत्री गिरिराज सिंह ने भी इस गौशाला की विधि व्यवस्था का जायजा ले चुके हैं. इसी के तर्ज पर बिहार के अन्य गौशाला को भी विकसित करने की योजना है. ताकि पशुओं की देखभाल के साथ दूध का बेहतर उत्पादन हो सके.
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Tags: Begusarai news, Bihar News, Local18
FIRST PUBLISHED : June 30, 2023, 18:48 IST
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