पाकुड़। सोमवार को सूचना भवन के प्रेस क्लब में मीडिया के लोगों की एक बैठक हुई। बैठक प्रेस क्लब पाकुड़ के अध्यक्ष के द्वारा आहूत की गई थी। विषय था 25 नवम्बर को हुए मुख्यमंत्री के सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में पत्रकारों के बैठने की समुचित व्यवस्था न रहने के विषय पर चर्चा करना। पत्रकारों ने इस पर चर्चा की। अधिकतर पत्रकार इससे आहत थे, कि पत्रकारों के बैठने की जगह पर अव्यवस्था थी, और उस पर राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने कब्ज़ा जमा रखा था।
सभी पत्रकारों ने इस पर अपने अपने तरीके से अपनी अपनी बात रखी। जैसा कि स्वयंभू बुद्धिजीवियों के जमावड़े में होता आया है, कि एक ही बात पर नजरिये अलग अलग होते हैं, लेकिन एक बात पर सभी सहमत थे, कि प्रशासनिक अभिवावक उपायुक्त महोदय को कम से कम लिखित रूप से अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए ऐसी पुनरावृत्ति न हो इसका आग्रह किया जाय।
खैर राज्य के मुखिया के जनोपयोगी किसी कार्यक्रम में अगर खबरनवीसों को नीचे बैठकर ख़बर संकलन करना पड़े तो स्वयं यह मूल्यांकन कर लेना चाहिए कि यह एक स्वयं विरोध है, और व्यवस्था में अव्यवस्था है।
लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के लिए जहाँ जगह न हो वहाँ एक चिंतन का विषय है कि अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं को कैसे पहुँचाया जाय। ये चिंतन सिर्फ़ प्रशासन का नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए भी है, जिन्होंने मीडिया के कुर्सियों पर तशरीफ़ टिका रखा था। उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि जिन मीडिया वालों की कुर्सियों को इन्होंने छेंक रखा था, उन्हीं मिडिया वालों के लिए वो छपते-छपाते रहते हैं।
खैर मामला बस इस बात पर पहुँचती है कि ऐसा आगे न हो इसका ध्यान रहे तो मिडिया सम्मानित महसूस करेंगी। अगर ऐसा होता रहा तो भी मीडिया अपने कर्तव्य से पीछे तो नहीं हटेगा। समाचारों का तो संकलन होता ही रहेगा। बात कुछ भी हो मीडियाकर्मियों की ऐसी बैठकें भी काफ़ी मनोरंजक और शिक्षाप्रद होतीं हैं।